डीएनए हिंदी: भारत में एबॉर्शन कानूनी (Law of Abortion in India) है या ग़ैरकानूनी यह बात अक्सर बहस का विषय होती है. अगर यह आपकी भी उत्कंठा का विषय है तो जान लीजिये, भारत में एबॉर्शन कानूनी है पर कुछ किन्तु-परन्तु के साथ. आइये जानते हैं हैं पूरी बात –
एबॉर्शन भारत में कानूनी है
भारत में एबॉर्शन (Abortion) ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी कानून (MTP - 1971) के अनुसार 2020 तक विवाहित स्त्रियों को गर्भ निरोध के काम नहीं करने पर गर्भ के बीस हफ़्ते तक एबॉर्शन कानूनी था पर 2020 में हुए अमेंडमेंट में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन या एबॉर्शन का अधिकार मिल गया.
क्या कहता है नया बिल
- नये एबॉर्शन(abortion) बिल में ज़रूरी हालात में, डॉक्टर की सलाह के बाद आवश्यक परिस्थितियों में एबॉर्शन की टाइमिंग को बढ़ाकर 24 हफ़्ते कर दिया गया है. इन परिस्थितियों में रेप के द्वारा ठहरे गर्भ, इन्सेस्ट के गर्भ, शारीरिक रूप से अक्षम गर्भधारक, नाबालिग गर्भधारण, और फिर असामान्य गर्भधारण जैसे हालात को शामिल किया गया है.
- इस बिल में यह शर्त भी जोड़ी गयी है कि बीस से चौबीस हफ़्ते के बीच के एबॉर्शन(Abortion) में डॉक्टर का मत या डॉक्टर की सलाह होनी ही चाहिए.
कहां रोकता है यह बिल
अगर गर्भ की अवधि चौबीस हफ़्ते से ऊपर है तो भारतीय कानून एबॉर्शन की अनुमति नहीं देता है. इसे कई स्वयंसेवी संस्थाओं और महिला अधिकार संस्थाओं के द्वारा स्त्री के अपने शरीर पर से अधिकार हटाने की तरह लिया जाता है. हालाँकि मेडिकल तौर पर इस विरोध के भी पक्ष और विपक्ष के मत बहुत हैं.
कहाँ है भारत इस मामले में प्रगतिशीलता के वैश्विक मानचित्र पर
प्रगतिशीलता के वैश्विक मानचित्र पर भारत उन 64 देशों में शामिल है जहां एबॉर्शन आंशिक या पूर्णतः कानूनी है. 1971 के भारतीय एबॉर्शन कानून में 2020 में हुए परिवर्तन को काफ़ी प्रोग्रेसिव भी माना गया है. महिला अधिकारों के लिहाज़ से यह महत्वपूर्ण क़दम रहा है.
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