'Champions Trophy 2025' : दुबई में खेले गए INDvs PAK मैच में वही हुआ, जिसका कयास 142.86 करोड़ के लगभग भाइयों बहनों ने यहां इंडिया में और करीब 40 करोड़ लोगों ने उधर पाकिस्तान में लगा लिया था. कहने को तो यह महामुकाबला था. मगर कुलदीप, हार्दिक की धमाकेदार बॉलिंग. उसके बाद विराट कोहली के आतिशी शतक के अलावा श्रेयस अय्यर और शुभमन गिल की सधी हुई बल्लेबाजी की बदौलत जिस तरह टीम इंडिया ने पाकिस्तान की रेल बनाई, मैच के दौरान ही दर्शक दीर्घा से लेकर लाहौर, इस्लामाबाद, पेशावर, रावलपिंडी और कराची की गलियों तक त्राहिमाम मचा था.
भारत का पूरा ध्यान अपनी परफॉरमेंस पर था. वहीं मैच अपनी झोली में आ सके, आदत के मुताबिक पाकिस्तानी आवाम से लेकर खिलाड़ी तक टोटके के भरोसे दिखे. शायद इन बातों पर यकीन न होता. मगर इसकी पुष्टि खुद पाकिस्तानी कप्तान मोहम्मद रिज़वान करते हुए नजर आए.
रोहित शर्मा, मोहम्मद शमी, हार्दिक पंड्या, अक्षर पटेल, रविंदर जडेजा को साक्षात अपने सामने खड़ा देखकर भाई कुछ इस हद तक विचलित हुआ कि उसने जेब से तस्बीह निकाल ली. मैच के शुरुआत में जब कैमरा उनके ऊपर आया तो हार का डर उनके चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ रहा था.
तमाम क्रिकेट प्रेमी ऐसे थे जिन्होंने सिर्फ इस विजुअल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि आज तो भइया टीवी टूटेंगे, बाइक्स और स्कूटियां फुकेंगी. ध्यान रहे तस्बीह पढ़ते रिजवान को देखकर कमेंट्री करते सुरेश रैना ने भी खूब जबरदस्त चुटकी ली और कहा कि उधर (टीम इंडिया में) कप्तान रोहित शर्मा भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हैं.
आगे बढ़ने से पहले हमारे लिए कुछ बातों को क्लियर कर देना बहुत ज्यादा जरूरी है. देखिये. हमें इन बातों को समझना होगा कि धर्म बहुत व्यक्तिगत विषय है और तभी तक अच्छा है जब तक इंसान इसे अपने तक ही सीमित रखे.
दिक्कत रिज़वान के तस्बीह पढ़ने में बिलकुल नहीं है. परेशानी का कारण और आलोचना की वजह है उनका इसे जग जाहिर करना. रिज़वान टीम के कप्तान थे. पाकिस्तान के करीब 40 करोड़ लोगों को रिजवान से उम्मीद थी कि उनके नेतृत्व में उनकी टीम दुबई की धरती पर भारत को हराएगी.
मैच शुरू होने से पहले लोगों को इस बात का पक्का यकीन रहा होगा कि रिज़वान भारत के खिलाफ किसी रणनीति को लेकर मैदान में आएंगे.जिस तरह रिजवान तस्बीह के सहारे ड्रेसिंग रूम में ख़ुदा को याद करते हुए दिखे, उन्होंने खुद इस बात पर मोहर लगा दी कि पाकिस्तान अपनी जड़ता, कट्टरपंथ से शायद ही कभी बाहर निकल पाए.
बहरहाल अब जबकि बात टीम पाकिस्तान के इस्लामीकरण और रिज़वान की तस्बीह पर आ ही गई है. तो हमें भी यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि, अगर पाकिस्तान में क्रिकेट का यही स्टैण्डर्ड है. और उन्हें खेल में भी धर्म लाना है, तो सेलेक्टर्स तारिक़ मसूद, तारिक जमील जैसे मुल्ला मौलवियों को भी टीम में जगह दे दें तो बेहतर है.
ऐसा इसलिए क्योंकि क्या पता खुदा ग्राउंड पर टीम पाकिस्तान और पाकिस्तानी खिलाड़ियों की इबादत देखकर खुश हो जाए और धार्मिक चोले के बलबूते ही पाकिस्तान क्रिकेट की दुनिया में इतिहास रच दे.
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