डीएनए हिंदी: जनवरी 2022 में जारी आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2021-22 में, भारत को अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप (Startups) इकोसिस्टम बताया गया था. नैसकॉम (Nasscom Report) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टार्ट-अप की संख्या लगातार बढ़ रही है और हर साल दस प्रतिशत जोड़े जा रहे हैं. इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि भारत दुनिया में दूसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में उभरा है.

ये आंकड़े जहां एक तरफ खुबसूरत तस्वीर दिखाते हैं, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. भारतीय स्टार्टअप (Indian Startups) वैल्यूएशन में धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण पेटीएम मॉल (Paytm Mall) है, जिसने 2022 में यूनिकॉर्न का दर्जा खो दिया था.

भारतीय स्टार्टअप के सामने धीरे-धीरे धन का संकट गहराता जा रहा है. जनवरी 2022 तक भारत के सबसे बड़े तकनीकी निवेशक (Tech Investor), सॉफ्टबैंक (SoftBank) के विजन फंड ने 26.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का रिकॉर्ड नुकसान दर्ज किया है. पिछले कुछ महीनों में, वेदांतु (Vedantu), मीशो (Meesho) आदि जैसे 'बेहतर' स्टार्टअप से 5,000 से ज्यादा कर्मचारियों को हटा दिया गया है जिससे पता चलता है कि इन स्टार्टअप्स के सामने भी संकट गहराता जा रहा है. वहीं अगर इससे पीछे के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो आंकड़ें चौकानें वाले हैं.

साल 2016 में स्टार्टअप की स्थिति

भारत ने पिछले कुछ सालों में कई स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित किया है. हालांकि भारत में टेक्निकल इनोवेशन की कमी के कारण उद्यम पूंजीपतियों ने फंडिंग में कमी कर दी जिसके बाद भारत में उद्यमिता (Entrepreneurship in India) का गति काफी कम होती गई है.

न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, आईबीएम इंस्टीट्यूट फॉर बिजनेस वैल्यू और ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (IBM Institute for Business Value and Oxford Economics) की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 90 प्रतिशत भारतीय स्टार्टअप पहले पांच सालों में फेल हो जाते हैं इसकी मुख्य वजह इनोवेशन की कमी है. वहीं एक रिपोर्ट में पाया गया कि साल 2017 में देश में आईटी स्टार्टअप की संख्या घटकर 800 हो गई है. इसके विपरीत साल 2016 आईटी स्टार्टअप की संख्या 6,000 से कहीं ज्यादा थी. यानी अगर साल 2016 से 2017 के बीच तुलना करें तो दोनों में बहुत बड़ा अंतर दिखता है.

शीर्षक 'एंटरप्रेन्योरियल इंडिया' (Entrepreneurial India) के स्टडी में कहा गया है कि पिछले चार वर्षों में भारतीय स्टार्टअप का बाजार मूल्यांकन बढ़ा है लेकिन 77 प्रतिशत उद्यम पूंजीपतियों का मानना ​​है कि उनके पास यूनिक बिजनेस मॉडल नहीं है.

साल 2021 में बने 46 स्टार्टअप यूनिकॉर्न

भारत में स्टार्टअप्स ने साल 2021 में 42 अर्ब डॉलर की फंडिंग जुटाई. वहीं साल 2020 में भारत में स्टार्टअप्स सिर्फ 11.5 अरब डॉलर की फंडिंग ही जुटा पाए थे. यानी स्टार्टअप्स को एक साल में 265 प्रतिशत से ज्यादा फंडिंग का फायदा हुआ है. साल 2021 में 46 स्टार्टअप यूनिकॉर्न का दर्जा पाने में कामयाब रहे. ये स्टार्टअप्स एक अरब डॉलर से ज्यादा वैल्यूएशन वाली कंपनी बन कर उभरे. वहीं हाल के समय में कुल यूनिकॉर्न की संख्या 90 हो गई है. मौजूदा समय में भारत में स्टार्टअप की संख्या 60,000 से कहीं ज्यादा है. बहरहाल इन स्टार्टअप्स में मात्र 90 कंपनियां यूनिकॉर्न बन कर उभरी हैं वहीं 90 प्रतिशत स्टार्टअप कॉपी करने, फंडिंग की कमी, नया इनोवेशन नहीं होने की वजह से फेल हो रहे हैं. हालांकि इन सबके बीच जो राहत देती है कि ये स्टार्टअप्स ना सिर्फ देश की GDP में मदद कर रहे हैं बल्कि रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.

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Startup: हर साल खुल रहे स्टार्टअप, कितने प्रतिशत होते हैं सक्सेस
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