डीएनए हिंदी: यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बदलाव किया है. इसने प्रमुख ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है. 22 साल बाद यानी कि साल 2000 के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का मतलब कंज्यूमर और बिजनेस से ज्यादा ब्याज की उगाही है. अमेरिका में लोन इंटरेस्ट (Loan Interest) में वृद्धि की वजह से गिरवी रखे जाने वाली सिक्योरिटी, क्रेडिट कार्ड जैसी चीजें भी प्रभावित होंगी. खाने-पीने की चीजों, एनर्जी और कंज्यूमर गुड्स की कीमतों में भी उछाल आएगा.
मिडिया रिपोर्ट की मानें तो फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 22 साल बाद बढ़ोतरी की है. इस वजह से अमेरिका में लोगों को और बिजनेसमैन को दिए जाने वाले लोन और ज्यादा महंगे होंगे. इससे लोगों की व्यय यानी कि खर्च करने की कैपेसिटी बुरी तरह प्रभावित होगी. कयास लगाया जा रहा है कि अमेरिका का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ सकता है.
फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि रिजर्व ने ऐसा सिर्फ इसलिए किया है जिससे अमेरिका में आर्थिक विकास में कहीं कोई रुकावट ना आए. अधिकारियों की मानें तो यह सब सिर्फ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए किया जा रहा है. बतया जा रहा है कि इस साल के अंत तक स्थिरता का 2.4 प्रतिशत ब्याज दर अचीव किया जा सकता है. माना जा रहा है कि इसका असर भारत में भी पड़ेगा और महंगाई बढ़ सकती है.
फेड रिजर्व आने वाले दिनों में और अधिक ब्याज दरों (Interest Rates) में वृद्धि कर सकता है. प्रमुख दरों में वृद्धि करने के बाद यह 0.75 प्रतिशत से लेकर 1 प्रतिशत के बीच है.
यूएस डॉलर की बैलेंस शीट भी कम होगी
फेडरल रिजर्व ने ऐलान किया है कि वह 9 ट्रिलियन यूएस डॉलर की बैलेंस शीट में भी कमी लाएगा. बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से आई आर्थिक मंदी के बाद फेड की होल्डिंग दोगुनी से ज्यादा हो गई है. इसकी वजह से वह अपनी बैलेंस शीट में ट्रेजरी और गिरवी रखे गए बॉन्ड को कम करने की कोशिश करेगा. ऐसा करने से ब्याज दर और महंगा हो सकता है और देश में आर्थिक मंदी पैदा हो सकती है.
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