डीएनए हिंदी: अन सिक्योर्ड लोन में तेजी से बढ़ रहा डिफॉल्ट. अन सिक्योर्ड लोन वह लोन होता है जिसकी कोई गारंटी नहीं होती है. इस तरह के लोन में, उधारकर्ता को अपने लोन को चुकाने के लिए केवल अपने भविष्य के आय के स्रोतों पर भरोसा करना पड़ता है.
हाल के वर्षों में, भारत में अन सिक्योर्ड लोन की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है. इसकी एक मुख्य वजह है कि बैंक और वित्तीय संस्थान अब उधारकर्ताओं को कम डाक्यूमेंट्स के आधार पर भी लोन दे रहे हैं.
हालांकि, अन सिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट का जोखिम भी अधिक होता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अन सिक्योर्ड लोन का डिफॉल्ट दर 10% से अधिक है.
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स्मॉल टिकट साइज वाले Personal Loan को लेकर ज्यादा चिंता
स्मॉल टिकट साइज वाले Personal Loan वह लोन होते हैं जिनकी राशि 50,000 रुपये से कम होती है. इस तरह के लोन आमतौर पर छोटे व्यवसायों, स्वरोजगार करने वाले लोगों और उपभोक्ताओं को दिए जाते हैं.
स्मॉल टिकट साइज वाले Personal Loan में डिफॉल्ट का जोखिम अन सिक्योर्ड लोन की तुलना में अधिक होता है. इसकी एक मुख्य वजह यह है कि इस तरह के लोन लेने वाले लोगों की आमतौर पर कम आय होती है और वे अपने लोन को चुकाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं.
अन सिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट के बढ़ने के कई कारण हैं. इनमें शामिल हैं:
- बढ़ती महंगाई: महंगाई के कारण लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है. इससे उन्हें अपने लोन को चुकाने में मुश्किल हो रही है.
- रोजगार में अस्थिरता: बढ़ती बेरोजगारी और रोजगार में अस्थिरता भी डिफॉल्ट के जोखिम को बढ़ा रही है.
- बढ़ती कर्जदारी: भारत में लोगों की कर्जदारी लगातार बढ़ रही है. इससे भी डिफॉल्ट का जोखिम बढ़ रहा है.
अन सिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट से उधारकर्ताओं को कई नुकसान हो सकते हैं. इनमें शामिल हैं:
- क्रेडिट स्कोर में गिरावट: डिफॉल्ट से उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है. इससे उन्हें भविष्य में लोन लेने में मुश्किल हो सकती है.
- ब्याज दरों में वृद्धि: डिफॉल्ट होने पर बैंक और वित्तीय संस्थान उधारकर्ताओं से अधिक ब्याज दर वसूल सकते हैं.
- सूचीबद्ध करना: डिफॉल्ट होने पर उधारकर्ताओं को सूचीबद्ध किया जा सकता है. इससे उन्हें रोजगार और अन्य वित्तीय सुविधाओं को प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है.
अन सिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट को रोकने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं. इनमें शामिल हैं:
- उधारकर्ताओं की सावधानीपूर्वक जांच: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उधारकर्ताओं की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए. इससे डिफॉल्ट के जोखिम को कम किया जा सकता है.
- उधारकर्ताओं को जागरूक करना: उधारकर्ताओं को अपने ऋण के बारे में जागरूक करना चाहिए. इससे उन्हें अपने ऋण को चुकाने के लिए बेहतर तरीके अपनाने में मदद मिल सकती है.
- सरकार की पहल: सरकार को भी अन सिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट को रोकने के लिए पहल करनी चाहिए. इसमें उधारकर्ताओं को वित्तीय साक्षरता प्रदान करना और डिफॉल्ट से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कानूनी प्रावधान करना शामिल है.
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Unsecured Loan: क्या होता है अन सिक्योर्ड लोन? तेजी के साथ बढ़ रही डिफॉल्टर्स की संख्या