डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने 4 अक्टूबर को दो दिवसीय समीक्षा बैठक शुरू की थी. यह बैठक आज खत्म हो गई है. कच्चे तेल की ऊंची कीमतें अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं. इस बैठक में रेपो रेट, महंगाई, जीडीपी ग्रोथ जैसी आर्थिक मुद्रा पर चर्चा की गई. इसके बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने आरबीआई एमपीसी के फैसलों के बारे में जानकारी दी. इस दौरान रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर रखा है.
इस दौरान RBI ने कहा कि भारत दुनिया का नया ग्रोथ इंजन बनकर तैयार हो रहा है. इस दौरान महंगाई में जिस तरह से तेजी आ रही है वह ग्रोथ के लिए खतरा है.
मुद्रास्फीति बढ़ने से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हो जाती है, जिससे मांग और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है.
MPC का लक्ष्य मुद्रास्फीति को 2-6% के दायरे में रखना है. अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती रहती हैं, तो MPC को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने की आवश्यकता हो सकती है.
यहां कुछ तरीकों से कच्चे तेल की ऊंची कीमतें MPC के फैसले को प्रभावित कर सकती हैं:
- मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं: कच्चे तेल की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं, क्योंकि यह वस्तुओं और सेवाओं की लागत को बढ़ाती है.
- ब्याज दरों को बढ़ा सकती हैं: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, MPC को ब्याज दरों में वृद्धि करने की आवश्यकता हो सकती है.
- आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं: ब्याज दरों में वृद्धि से निवेश और खर्च कम हो सकता है, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है.
- वर्तमान में, कच्चे तेल की कीमतें लगभग 100 डॉलर प्रति बैरल है. अगर कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ती हैं, तो MPC को ब्याज दरों में वृद्धि करने की अधिक संभावना है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर
- Log in to post comments
RBI Monetary Policy: कच्चे तेल की उंची कीमतों में लगातार तेजी जारी, क्या MPC मीटिंग पर पड़ा इसका कोई असर?