डीएनए हिंद: अगर आपके सपने बड़े हों तो आपको पंख फैलाने (Bikanervala Success Story) से कोई नहीं रोक सकता. आसामान की ऊचांइया भी छोटी लगने लगती है जब आप लंबी उड़ान भरने की ठान लें. ऐसी ही कुछ कहानी है राजस्थान के बीकानेरवाला (Bikanervala) की. परिवार के एक बेटे ने सबको साथ रखकर कैसे घर के बिजनेस को वर्ल्डक्लास बना दिया, ये जानना आज उन सभी के लिए जरूरी है जो बिजनेस कर रहे हैं या फिर स्टार्टअप करना चाहते हैं. बीकानेरवाला के मैनेजिंग डायरेक्टर श्याम सुंदर अग्रवाल (Shyam Sunder Agarwal) महज 10वीं पास हैं. अपनी कम शैक्षिक योग्यताओं के बावजूद कैसे उन्होंने करोड़ों रुपये का बिजनेस खड़ा कर दिया आइए जानते हैं.

राजस्थान से शुरू हुई कहानी

FSNM को दिए एक इंटरव्यू में बीकानेरवाला (Bikanervala Success Story) ब्रांड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्याम सुंदर अग्रवाल (Shyam Sunder Agarwal) ने अपने बिजनेस को लेकर काफी खुलकर बात की. उन्होंने अपने शहर बीकानेर से लेकर दिल्ली और फिर विदेश तक में अपने आउटलेट खोलने तक की कहानी को बताया. श्याम सुंदर ने बताया कि उनके पिता के 6 भाई थे और वह उनके दादा के समय से ही यह बिजनेस कर रहे हैं. वह शुरुआत से ही राजस्थान के बीकानेर में रहे हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत से उनके घर में मिश्री और बताशे जैसी मिठाइयां बनाई जाती थी. धीरे-धीरे उनके घर में बनने वाली मिश्री-बताशों ने मिठाई का रूप ले लिया और वह मिठाई के बिजनेस में आ गए. श्याम सुंदर जी ने आगे बताया कि उन्होंने बीकानेर से ही दसवीं क्लास तक की पढ़ाई की है. वह पढ़ाई के साथ-साथ अपने घर के बिजनेस के साथ जुड़े रहे. उन्होंने बताया कि उनके घर में वह दूध से मलाई बनाया करते थे. जिसका इस्तेमाल मिठाइयों में किया जाता था. श्याम सुंदर ने बताया कि बचपन में गाय-भैंसों का दूध दूहने के अलावा वे दिन में उन्हें चारा खिलाने का काम भी किया करते थे. 

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दिल्ली बना बड़ा बिजनेस पॉइंट

श्याम सुंदर ने बताया कि उनके सबसे बड़े चाचा सत्यनारायण 1950 में दिल्ली आए. उन्होंने बीकानेर में रहते हुए मिठाई और नमकीन का काम बेहद ही बारीकी से सीख लिया था. उनके चाचा बीकानेर (Bikanervala Success Story) के टॉप कारीगर थे. श्याम सुंदर ने बताया कि मैंने उनसे हाइजीन के बारे में सीखा. वह किसी भी चीज को बनाते समय चाहे वह मिठाई हो या नमकीन अपने आपको और आसपास की जगह को बेहद साफ रखते थे. हाइजीन का काफी ज्यादा ख्याल रखे थे. जब चाचा दिल्ली में आए तो चांदनी चौक में कभी रसगुल्ले बनाकर बेचा करते थे तो कभी हलवा. देखते ही देखते चाचा की बनाई हुई हाथ की मिठाई और नमकीन लोगों को पसंद आने लगी और उन्होंने चांदनी चौक की परांठे वाली गली में एक छोटी सी दुकान ली. इसी के साथ उन्होंने अपने एक और भाई को बुलाया. फिर वे साथ उन आइटम को बनाकर बेचने लगे जो उन्हें बनानी आती थी. देखते ही देखते दोनों का बिजनेस बढ़ने लगा और उन्होंने चांदनी चौक से हटकर मोती बाजार में एक बड़ी दुकान ली और फिर कुछ और लोगों को बीकानेर से बुलाया.

नमकीन ने बढ़ाया बिजनेस

श्याम जी आगे बताते हैं कि उस समय दिल्ली में (Bikanervala Mithai) ज्यादा लोग मिठाइयों को लेकर फेमस नहीं थे. इसलिए इसके अलावा लोगों को देसी घी भी पसंद थी. उस समय लोगों को तेल के बारे में कुछ पता ही नहीं था. लोग तेल खाना ही नहीं जानते थे. उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने मूंगफली के तेल से नमकीन (Bikanervala Namkeen) बनाना शुरू की. हालांकि देसी घी खाने वालों को तेल इतनी जल्दी रास नहीं आने वाला था क्योंकि देसी घी की खुशबू आया करती थी और उससे बनी चीज खराब हो जाने पर बदबू भी आया करती थी. देसी घी से बनी चीजों की लाइफ भी रिफाइंड के मुकाबले कम थी, वे बड़ी जल्दी महक मारा करती थी. रिफाइंड में ना तो खुशबू हुआ करती थी ना ही बदबू. लोगों को धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि तेल से बनी हुई चीजों की लाइफ ज्यादा है. उसमें किसी भी एक्स्ट्रा खुशबू की महक नहीं आती. इसलिए उन्होंने उनके बनाए हुए प्रोडक्ट को पसंद करना शुरू किया. देखते ही देखते काम और बढ़ता गया और उनके परिवार ने मोती बाजार से लेकर चांदनी चौक तक कई सारी मिठाइयां लॉन्च की.  इसके अलावा उनकी नमकीन को खरीदने के लिए सुबह से लेकर रात तक लाइन लगा करती थी.

60 के दशक में श्याम सुंदर अग्रवाल दिल्ली आए

1960-62 के आसपास श्याम जी 10वीं पास करके दिल्ली की ओर चल दिए थे. दिल्ली में आने के बाद में उनके पिताजी ने उन्हें अपने मिठाई और नमकीन के कारखाने में काम करने पर लगा दिया. उन्होंने सबसे पहले काजू की बर्फी को मार्केट में लॉन्च किया. उस समय दिल्ली में काजू की बर्फी नहीं बना करती थी. काजू की बर्फी मार्केट में लॉन्च करने के 1 महीने के अंदर ही इतनी फेमस हो गई कि सुबह से लेकर शाम तक उन्हें आराम करने का समय नहीं मिलता था. उन्होंने बताया कि सबसे पहले दिल्ली में 10 रुपये किलो काजू की बर्फी उन्होंने ही बेची थी.

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करोल बाग में खोला पहला आउटलेट

श्याम जी ने आगे बताया कि जब उन्होंने बतौर हवाई पहली बार करोल बाग में अपना एक आउटलेट लिया तो उसकी गूंज संसद तक पहुंच गई थी. वहां भी लोग हमारी मिठाई पसंद करते थे. दिल्ली में लोगों ने मान लिया था कि बीकानेर एक ऐसा हलवाई है जिन्होंने पहली बार इतना बड़ा आउटलेट खोला है. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और काम करते गए. एक बार जब उन्होंने पिज्जा हट को देखा कि कैसे एक पिज्जा ने पूरी मार्केट पर कब्जा कर रखा है तो मैंने अपने बिजनेस को ऑर्गेनाइज करने की ठान ली ताकि चांदनी चौक से बाहर भी बिजनेस को बढ़ाया जा सके.

पेप्सी से मिली काफी मदद

श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि पेप्सी के आने के बाद में उन्हें काफी ज्यादा फायदा हुआ है. पहले वे एक कागज के पैकेट में  '1 आने' में नमकीन बेचा करते थे. जिसे लेने में अक्सर लोग कतराते थे और कहते थे कि हमें खुली ताजी नमकीन पैक करके दो. ये पहले से पैक नमकीन पता नहीं कब की रखी हुई है. हालांकि आज हालात कुछ और हैं लोगों को पैक नमकीन ही चाहिए. मेरा खुद से हमेशा से यही सवाल रहता था कि अगर हम चीजों को पैक करके नहीं बेच पाएंगे तो अपने बिजनेस को कैसे बढ़ाएंगे. इसके बाद में जब पेप्सी मार्केट में आई तो हमने उनसे प्रोडक्शन तकनीक सीखी. हमने उनके साथ कोलैब करके सीखा कि किस तरह से नमकीन की शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सकता है. किस तरह से अपने प्रोडक्ट को रजिस्टर किया जा सकता है. कोलैब करने से हमने अपनी पैकेजिंग को सुधारा और हमारी प्रोडक्ट जिसकी शेल्फ लाइफ जो पहले 1 महीने हुआ करती थी  बाद में 6 महीने तक की हो गई और क्वालिटी में भी काफी फर्क आया. हालांकि हमने 20 साल पहले ही पैकेजिंग शुरू की थी. उससे पहले तो ऐसे ही लोगों को लिफाफे में देते थे. आज हम अपने प्रोडक्ट के साथ मार्केट के टॉप प्लेयर्स में शामिल हो चुके हैं. देश से लेकर विदेशों में भी हमारे आउटलेट हैं. हम वहीं के लोगों को ट्रेन करते हैं उन्हें नौकरी देते हैं और उन्हीं के देशों में अपने प्रोडक्ट बेचते हैं.

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5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है बिजनेस एंपायर

ईटी टाइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीकानेरवाला का बिजनेस एंपायर 5000 करोड़ रुपये का है. ये रोजाना 60 हजार किलो से ज्यादा नमकीन बनाते हैं. बीकानेरवाला के पास 500 से ज्यादा इनके प्रोडक्ट्स की वैरायटी हैं. इस समय श्याम सुंदर अग्रवाल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और मनीष अग्रवाल डायरेक्टर के पद पर हैं. बीकानेरवाला की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आज, बीकानेरवाला के भारत में 60 से अधिक आउटलेट हैं. भारत के बाहर अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, नेपाल और यूएई जैसे देशों में इनके आउटलेट मौजूद हैं.

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Bikanervala Success Story how Shyam Sundar Aggarwal familys Small Shop become a multi dollar company
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Bikanervala कभी 10 रुपये में बेचा करते थे बर्फी आज हैं करोड़ों के मालिक
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बेहद नमकीन है बीकानेरवाला की कहानी, जानें कैसे खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस