डीएनए हिंदी: क्रिप्टोकरेंसी पर दुनियाभर में विवाद चल रहा है. इसको लेकर दुनिया के बड़े देशों का रुख भी साफ नहीं है तो कई बड़ी एजेंसियां भी क्रिप्टो की अस्थिरता को लेकर चिंतित हैं. विश्व बैंक और IMF भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को कानूनी रूप से मान्यता देने के पक्ष में नहीं है. IMF ने एक बार फिर अल सल्वाडोर को हिदायत दी है कि उसे बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए. इसके लिए आईएमएफ ने इस क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़े फाइनेंशिअल और कन्ज्यूमर रिस्क का हवाला दिया.

IMF ने क्या कहा?

IMF ने कहा कि बिटकॉइन, और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भले ही अच्छा पेमेंट ऑप्शन साबित होती हैं मगर उन्हें लीगल टेंडर बनाना फाइनेंशिअल स्टेबिलिटी के लिए ठीक नहीं है. आईएमएफ (International Monetary Fund)  ने अल सल्वाडोर से अपने बिटकॉइन (Bitcoin) कानून के दायरे को कम करने और नए पेमेंट ईकोसिस्टम के रेगुलेशन और सुपरविजन को भी मजबूत करने के लिए कहा. साथ ही उसने यह भी कहा कि बिटकॉइन की बहुत ज्यादा अस्थिरता को देखते हुए लीगल टेंडर के रूप में इसका इस्तेमाल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन, फाइनेंशिअल इंटीग्रिटी और स्टेबिलिटी के लिए बड़ा जोखिम है. बता दें कि इससे पहले भी IMF बिटक्वाइन को लेकर अल सल्वाडोर को चेतावनी दे चुका है.

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कब किया गया था बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित?

अल सल्वाडोर सरकार ने 9 जून 2021 को देश में बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित किया था. इसका इस्तेमाल अल-सल्वाडोर की आधिकारिक मुद्रा अमेरिकी डॉलर के साथ किया जाता है. अल-सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले के मुताबिक बिटकॉइन को आधिकारिक मुद्रा बनाने से विदेशों में रहने वाले सल्वाडोर के नागरिकों के लिए घर पर पैसे भेजना आसान हुआ है. इसके अलावा अल सल्वाडोर दुनिया की पहली 'बिटक्वाइन सिटी' बनाने की तैयारी कर रहा है. अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले का कहना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा. गौरतलब है कि यह शहर ला यूनियन (La Union) के ईस्टर्न रीजन में बनाया जाएगा और इसे ज्वालामुखी के जरिए जियोथर्मल पॉवर दिया जाएगा. इस शहर को बिटक्वाइन पर आधारित बॉन्ड्स के जरिए फंड किया जाएगा. इसके अलावा इस पर वैट के अलावा दूसरा कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा. यहां जो वैट वसूला जाएगा, उसमें से आधे वैट को इस शहर के लिए खर्च किया जाएगा. बुकेले के आकलन के मुताबिक इस शहर के पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर करीब 3 लाख बिटक्वाइन की लागत आएगी. यहां वसूले जाने वाले आधे वैट को उन बॉन्ड्स में निवेश किया जाएगा जिसे शहर को बनाने के लिए निवेश किया जाना है. 

बिटकॉइन के खिलाफ विरोध 

पिछले साल सितंबर में जब अल सल्वाडोर में बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित किया गया तो सरकार को वहां की जनता की ओर से जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था और इसका असर दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट (Cryptocurrency Market) पर भी देखा गया था. आईएमएफ के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर वैध करेंसी के तौर पर स्वीकार किया गया तो इकोनॉमी की व्यापक स्थिरता पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि सरकारें अपना खर्च क्रिप्टो में करने लगें और टैक्स लोकल करेंसी में भरा जाए. इन दोनों स्थितियों में अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर देखा जा सकता है. क्रिप्टो एसेंट प्राइस को लेकर बैंकों पर भी भारी दबाव देखा जा सकता है.

भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर तस्वीर साफ नहीं है जिसकी वजह से आरबीआई (RBI) भी अपनी डिजिटल करेंसी लाने जा रहा है. फिलहाल क्रिप्टोकरेंसीज की कीमतों में भारी-उतार चढ़ाव देखा जा रहा है. ऐसे में क्रिप्टो में निवेश करने से पहले निवेशकों को सोच समझकर ही निवेश करना चाहिए क्योंकि अभी भारत में क्रिप्टो के भविष्य को लेकर कई सवाल है जिनके जवाब आना बाकी है.

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Will Bitcoin be legal in Al Salvador, IMF said this
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क्या अल सल्वाडोर में Bitcoin रहेगा लीगल, क्यों IMF ने कही यह बड़ी बातें?
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क्या अल सल्वाडोर में Bitcoin रहेगा लीगल, IMF ने कही यह बात