डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग से दोनों देशों के साथ-साथ अन्य देश भी आर्थिक तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. भारत की जानी-मानी इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार ने रशिया यूक्रेन कॉन्फ्लिक्ट से इंडियन इकोनॉमी पर होनेवाले असर पर अपनी राय रखी है.
बृंदा ने हमारे सहयोगी जी न्यूज को बताया कि रूस भारत का इंपोर्ट ट्रेडिंग पार्टनर है. भारत में रूस से फ्यूल, ऑइल, मिनरल ऑइल इंपोर्ट होता है. अब जबकि ये कॉन्फ्लिक्ट की स्थिति में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर इंपोर्ट बिल भी बढ़ जाएगा, करेंट अकाउंट बढ़ेगा, रुपये की कीमत घटेगी, इंपोर्ट कास्ट बढ़ जाएगी और हम इनफ्लेशन को इंपोर्ट करेंगे.
सरकार पर प्रेशर बढ़ेगा
वहीं सरकार पर प्रेशर बढ़ेगा जिसकी वजह से सब्सिडी को बढ़ाना पड़ेगा, पेट्रोल, केरोसिन, क्रूडिंग की सब्सिडीऔर फिजिकल डेफिसिट बढ़ जाएगा.
मैक्रो पर नेगेटिव इंपैक्ट पड़ेगा
रूस में इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी हुई है जिसका असर भारतीय बैंकों पर भी पड़ेगा. यहां भी इंटरेस्ट रेट बढ़ेगा, फिजिकल इनफ्लेशन होगा यानी की इसका असर करेंट डिफिसिट, फिजिकल डेफिसिट, ग्रोथ और करेंट अकाउंट पर पड़ेगा.
रूस से इम्पोर्ट होने वाली चीजें
रूस से खास कर डिफेंस इक्विपमेंट, फर्टिलाइजर, मशीनरीज, एडिबल ऑइल,जेम्स एंड ज्वैलरी इंपोर्ट की जाती हैं. अब इनकी कीमत पर भी प्रभाव पड़ेगा जिससे इनका दाम बढ़ सकता है.
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रूस को एक्सपोर्ट होने वाली चीजें
भारत रूस को फार्मेस्टिकल, चाय (Tea), ऑटोपार्ट, ब्रॉडकास्टिंग इक्विपमेंट, इलेक्ट्रिकल मशीनरी एक्सपोर्ट करता है. अब जंग की वजह से व्यापार पर असर पड़ेगा जिसकी वजह से इन चीजों के आयात भी बाधित होंगे.
मर्चेंडाइज ट्रेड पर हुई एफेक्ट
जहां पिछले साल भारत ने एक क्वार्टर में 100 बिलियन का माल एक्सपोर्ट किया था. वहीं अब 400 बिलियन का टारगेट अचीव कर पाना मुश्किल पड़ सकत है.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग की वजह से ट्रेड रूट्स, पोर्ट रूट्स एफेक्ट हुए हैं जिसकी वजह से एक्सपोर्ट इंपोर्ट पर असर पड़ रहा है. वहीं सप्लाई चैन, कार कंपोनेंट, सेमी कंडक्टरपर पर भी नेगेटिव असर देखने को मिल रहा है.
इकोनॉमिस्ट बृंदा ने कहा कि एक अनुमान लगाया जा रहा था कि ग्रोथ 8/9 प्रतिशत होगी. अब वही ग्रोथ मुश्किल से 5/6 प्रतिशत तक हो सकती है.
बृंदा के मुताबिक ऐसी स्थिति में भारत डॉलर यूरो के बजाय रुपए में ट्रेड कर सकता है.
बृंदा ने बताया कि दिसंबर में रूस का 5.5 बिलियन का टोटल इंपोर्ट था. वहीं 2.6 बिलियन एक्सपोर्ट था. अब व्यापार को सुधरने में समय लग सकता है.
अमेरिका, ब्रिटेन में 7 प्रतिशत मुद्रास्फीति रेट है जिसने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा है. अब आरबीआई (RBI) को भी इसे मेनटेन करने के लिए स्ट्रेटजी तैयार करनी होगी. भारत के पास बहुत ही कम विकल्प हैं ऐसे में अब परसेंट बढ़ाना होगा.
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Russia Ukraine Conflict: भारत की आयात-निर्यात पर पड़ेगा असर, महंगी हो सकती हैं चीजें