RBI MPC Meet: पूरी दुनिया में चल रही आर्थिक मंदी के हौले-हौले झटके भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लगने लगे हैं. कई देशों में खुले युद्ध के मोर्चों से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट अकाउंट का संतुलन बिगड़ने के कारण महंगाई को काबू करना भारी हो रहा है. इसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की GDP बिगड़ रही है. नतीजतन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग (RBI MPC Meeting) के बाद लगातार 11वीं बार रेपो रेट को फ्रीज रखते हुए ब्याज दरों में बदलाव करने से इंकार कर दिया है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसका ऐलान कर दिया है. इससे एकतरफ जहां आम आदमी की ब्याज कटौती की राहत की उम्मीद झटका खा गई है, वहीं देश की ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ने के पूरे आसार हैं. खासतौर पर इसका उन लोगों की उम्मीदों पर बड़ा असर पड़ेगा, जो ब्याज दरों के नीचे आने के बाद होमलोन लेकर घर खरीदने का सपना देख रहे थे.
दूसरी बार घटा इस वित्त वर्ष का ग्रोथ रेट अनुमान
महंगाई के कारण लग रहे झटकों के चलते देश की GDP ग्रोथ के अनुमान को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आरबीआई एमपीसी में 7 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया गया है. यह इस वित्त वर्ष में दूसरा मौका है, जब ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाया गया है. इससे पहले अक्टूबर महीने की आरबीआई एमपीसी मीटिंग में भी ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी किया गया था. अब इसे और कम कर दिया गया है.
कार्यकाल खत्म होने से पहले ये राहत नहीं दे पाए दास
शक्तिकांत दास का आरबीआई गवर्नर के तौर पर कार्यकाल पूरा हो रहा है. उनके कार्यकाल की यह आखिरी एमपीसी बैठक थी. अपने कार्यकाल में वे अर्थव्यवस्था को महंगाई के इस भंवर से नहीं निकाल पाए हैं. अब यह फरवरी में होने वाली बैठक में नए गवर्नर के लिए चुनौती जैसा होगा.
2022 में बढ़ा रेपो रेट, अब तक नहीं आया नीचे
देश को कोरोना के दौर में प्रॉडक्शन बंद होने के कारण बढ़ी मंहगाई के भंवर से निकालने के लिए 2022 में रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया गया था. आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट में करीब 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जिसका सीधा असर ब्याज दरों में इजाफा होने के तौर पर सामने आया था. आखिरी बार फरवरी 2023 में ब्याज दरों में करीब 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. इसके बाद से यदि ब्याद दरें बढ़ाई नहीं गई हैं तो उन्हें घटाया भी नहीं गया है. इससे आम आदमी को बहुत ज्यादा राहत नहीं मिली है. फिलहाल आरबीआई का रेपो रेट 6.5 फीसदी पर है.
महंगाई और बढ़ने का जताया गया है अनुमान
आरबीआई एमपीसी में आम आदमी की जेब को एक और झटका लगने की संभावना सामने आई है. माना जा रहा है कि देश में महंगाई और ज्यादा बढ़ेगी. इसके चलते एमपीसी में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के महंगाई अनुमान को 5.7 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले 4.8 फीसदी पर था. चौथी तिमाही में भी राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि उसके लिए भी 4.2 फीसदी के अनुमान को बढ़ाकर 4.5 फीसदी किया गया है. अगले वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भी महंगाई अनुमान 4.3 से 4.6 फीसदी किया गया है और ओवरऑल अगले वित्त वर्ष का महंगाई दर अनुमान 4 फीसदी है.
क्या कह रहा है ब्याज दरें नहीं घटने पर बाजार
- अवनीश सूद, निदेशक, ईरोस ग्रुप के अनुसार, 'कोविड के बाद खरीदारों ने बड़े और ज्यादा भव्य घर खरीदने को प्राथमिकता दी है, ऐसे में स्थिर Home Loan संभावित खरीदारों को घर की बढ़ती लागत के बावजूद कुछ राहत देते हैं. ब्याज दर की स्थिरता घर खरीदारों का आत्मविश्वास बढ़ाती है और संपत्ति खरीदने की परिस्थिति को अधिक आकर्षक और उचित बनाती है. घर खरीदार अभी निर्माणाधीन परियोजनाओं में रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में कम या स्थिर लोन रेट खरीदारों की खरीदने की ताकत को बढ़ाते हैं, जिससे बड़े घरों में निवेश करना आसान हो जाता है.'
- हिमांशु गर्ग, निदेशक, आरजी ग्रुप के अनुसार, 'हमारी नजर में रियल एस्टेट सेक्टर को स्थिर ब्याज दरों से जरूरी लाभ मिलता है. यह ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बेहतर है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी बिक्री के आंकड़ें पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. ब्याज दरें स्थिर रहने पर घर खरीदने वाले संभावित बढ़ोतरी की चिंता किए बिना अपनी योजना पर आगे बढ़ सकते हैं. ब्याज दरों के प्रभावित होने से निर्माण व्यय भी प्रभावित होता है, जबकि स्थिर दरों से उद्योग के विस्तार में योगदान मिलता है.'
- दिनेश गुप्ता, सचिव, क्रेडाई पश्चिमी यूपी के मुताबिक, 'बाजार को घर खरीदारों के पक्ष में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद थी, लेकिन आरबीआई का मौजूदा रेपो रेट बनाए रखने का फैसला भी निश्चित रूप से रियल एस्टेट सेक्टर को पहले जैसी गति से आगे बढ़ाने में मदद देगा. डेवलपर्स के पास बढ़ी हुई लिक्विडिटी और वैकल्पिक फंडिंग विकल्पों के कारण बाजार में लग्जरी और मिड-सेगमेंट हाउसिंग की आपूर्ति और मांग में काफी वृद्धि देखी जा रही है. स्थिर दरें घर खरीदारों को ईएमआई में बढ़ोतरी के डर के बिना निवेश करते रहने के लिए प्रोत्साहित करेंगी.'
- पंकज कुमार जैन डायरेक्टर केडब्ल्यू ग्रुप के मुताबिक,'आरबीआई ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए रेपो दर को 6.5 आधार अंकों पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. हालांकि सेक्टर ने कटौती का स्वागत किया होगा, लेकिन अपरिवर्तित दर अभी भी बढ़ी हुई दर से बेहतर है, क्योंकि खरीदार पहले से ही मौजूदा ब्याज दरों को स्वीकार कर चुके हैं और दरों में वृद्धि आदर्श नहीं होगी. सेक्टर में पिछले एक साल से सकारात्मक भावना देखी जा रही है और पिछली कुछ तिमाहियों में सकारात्मक आर्थिक विकास दर के साथ सेक्टर को भविष्य में कटौती की उम्मीद है.'
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महंगाई के सामने GDP को झटका, RBI मीटिंग में नहीं घटी ब्याज दर, क्या हैं आगे आसार