डीएनए हिंदी: भारतीय बाजार में कर्ज मंहगे होने के आसार बढ़ गए हैं. माना जा रहा है कि अप्रैल तक RBI ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है. इसकी वजह मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों और खुदरा ईंधन की कीमतों में वृद्धि को माना जा रहा है. इस वक्त मंहगाई भारत के लिए ही नहीं दुनिया भर के लिए बड़ी समस्या बन गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में कर्ज मंहगा होने का सिलसिला शुरू हो चुका है.
बैंक के ब्याज दरों में बढ़ोतरी
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है. इससे पहले दिसंबर में भी बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 25 बेसिस अंकों का इजाफा किया था. 2004 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने लगातार दो बार ब्याज दरों में इजाफा किया हो. देश ने बैंक रेपो रेट आधा फीसदी कर दिया है. दिसंबर से पहले यह 0.1 फीसदी थी. ब्रिटेन में मंहगाई दर दिसंबर में 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. यह बीते साल के आखिरी महीने में 5.4 फीसदी थी. विशेषज्ञों के अनुसार अप्रैल में महंगाई दर 7.25 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है.
बढ़ती मंहगाई पर कैसे लगेगा लगाम
बढ़ती मंहगाई पर लगाम लगाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में इजाफा किया है. इससे पहले अमेरिका का सेंट्रल बैंक Federal Reserve भी मार्च में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान कर चुका है. इसका मतलब ये है कि दुनिया में मंहगे कर्ज का दौर शुरू होने वाला है. भारत में भी अप्रैल में ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर फैसला लिया जा सकता है.
ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज के मुताबिक MPC रिवर्ट रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा कर सकती है. अभी रेपो रेट 4 फीसदी, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थिर है. दिसंबर में हुई पॉलिसी समीक्षा में MPC ने लगातार नौवीं बार दरों को स्थिर रखा था, हालांकि दिसंबर की पॉलिसी समीक्षा से पहले भी रिवर्स रेपो रेट में बदलाव की बात की जा रही थी. गौरतलब है कि RBI बैंको को जो कर्ज देता है उस पर रेपो रेट से ब्याज लेता है. इसके उलट जब वो बैंकों से अतिरिक्त डिपॉजिट एक्सेप्ट करता है तो उस पर रिवर्स रेपो रेट पर बैंकों को ब्याज देता है. यानी रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतर हमेशा सिस्टम में मौजूद नकदी को सोखने के लिए की जाती है. रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी होते ही लोगों को जमा पर मिलने वाला ब्याज भी ज्यादा मिलेगा. ज्यादातर लोग ब्याज को कमाने के लिए लोग नकदी को बैंकों में जमा कराते हैं. यानी आशंका है कि अब भारत में मंहगे कर्ज के दिन आ सकते हैं. इस वक्त देश में 10 साल की सबसे सस्ती दर पर कर्ज मिल रहा है.
खुदरा ईंधन की कीमतों का असर
खुदरा ईंधन की कीमतों को मार्केट में कुछ समय से कोई बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों को ध्यान में रखते हुए देश में ईंधन की कीमतों में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि की जानी चाहिए. यह जानकारी मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में दी गई है.
इस तरह 2023 के वित्त वर्ष में औसतन 110 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से भारत के लिए खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2023 में औसतन 6 फीसदी होने का कयास लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा हम मानते हैं कि सीपीआई (CPI) सितंबर 2022 तक 6 फीसदी होने की संभावना है.
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ब्याज दरों में RBI कर सकता है बढ़ोतरी, पढ़िए यह खास रिपोर्ट