डीएनए हिंदी: 1960 के दशक के मध्य का दौर जब दिल्ली के सेंट स्टीफंस स्कूल से निकलने के बाद और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़कर राहुल बजाज (Rahul Bajaj) भारत लौटे थे. उन्होंने मुंबई के आलीशान शहर को छोड़ पुणे के अकुर्डी शहर को चुना जिसे उस समय एक पिछड़ा क्षेत्र माना जाता था. राहुल बजाज ने वहां से ही बजाज के दोपहिया बिजनेस की शुरुआत की.

अकुर्डी उस समय एक पिछड़ा क्षेत्र था लेकिन उदारीकरण के पहले के इस दौर में राहुल बजाज ने सरकार से दो और तीन पहिया वाहनों के निर्माण के लिए लाइसेंस हासिल किया था और वेस्पा स्कूटरों के निर्माण के लिए पियाजियो के साथ साझेदारी कर वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अकुर्डी में जमीन खरीदी थी और अपने कारखाने स्थापित किए. 

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लोगों के लिए राहुल बजाज का इस पिछड़े इलाके में जाना आश्चर्य का विषय का था. लोगों को यह विश्वास नहीं था कि वह ग्रामीण क्षेत्र में लंबे समय तक टिके रहेंगे क्योंकि वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी थी लेकिन उन्होंने उन सभी को गलत साबित कर दिया. उन्होंने पुणे को न केवल अंतिम सांस लेने तक अपना घर बनाया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि देश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल हो. 

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उन्होंने बजाज ऑटो की शुरुआत की और इस कंपनी ने नियंत्रण राज और उदारीकरण के बाद के युग में पीछे मुड़कर नहीं देखा. कंपनी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैप के साथ दुनिया की सबसे अधिक लाभदायक ऑटो कंपनियों में से एक बन गई. आज बजाज ऑटो राहुल के बड़े बेटे राजीव के हाथ में है और कंपनी न केवल देश के सबसे बड़े मोटरसाइकिल निर्माताओं में से एक है, बल्कि प्रमुख निर्यात बाजारों में भी एक मजबूत स्थिति रखता है.

राहुल बजाज वास्तव में अपने शुरुआती दिनों से ही कंपनी में एक मजबूत नेतृत्व और एक स्पष्ट रणनीति के साथ आवाज और फोकस थे. उदारीकरण से पहले कंपनी के प्रसिद्ध स्कूटर चेतक की डिलीवरी पाने के लिए उपभोक्ताओं को 10 वर्षों से अधिक की वेटिंग का सामना करना पड़ा इसलिए उन्हें अपनी आवाज उठाने से कभी डर नहीं लगा वो मुखरता से अपनी बातें रखते थे.

ध्यान देने वाली बात यह है कि जब बजाज ऑटो ने 1970, 80 और 90 के दशक में मार्केट पर एक मजबूत पकड़ बनाई तो कंपनी को अपनी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का सामना करना पड़ा. उस दौरान बाजार ने चार-स्ट्रोक मोटरसाइकिलों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया जबकि बजाज ने अपनी स्कूटर रेंज पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा.

बजाज ऑटो ने ऐसी। स्थिति में वापसी की और मोटरसाइकिल के सेगमेंट में Bajaj Pulsar को उतार दिया. यह युवाओं की आज भी पसंद माना जाता है. कंपनी की पल्सर देश में प्रतिष्ठित मोटरसाइकिल ब्रांडों में से एक बन गई है. बजाज प्रीमियम श्रेणियों में अपनी खुद की जगह बनाने में कामयाब रहा है और इसने देश दोपहिया ऑटो सेक्टर में अपना सिक्का जमा रखा है और यह सब राहुल बजाज के परिश्रम की ही देन है.

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Rahul Bajaj, the legend of the Indian two wheeler market, gave flight to the dreams of the common man
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एक पिछड़े क्षेत्र को बना दिया देश का औद्योगिक केन्द्र
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Rahul Bajaj, the legend of the Indian two wheeler market, gave flight to the dreams of the common man
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