डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन विवाद (Russia-Ukraine Crises) के कारण केवल दो देशों के बीच युद्ध नहीं हो रहा बल्कि अमेरिकी सक्रियता स्पष्ट संकेत हैं कि नाटो भी इस टकराव में कूद सकता है. ऐसे में बन रही तीसरे विश्व युद्ध (World War 3) की संभावनाओं के बीच कच्चे तेल की कीमते आसमान छूने लगी हैं. पिछले ढाई महीनों में ये कीमतें 27 फीसदी बढ़ गई हैं और अब ये 100 डॉलर प्रति बैरल की कीमतों को पार करते हुए 103 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं. संभावनाएं हैं कि ये कीमतें अभी और बढ़ेंगी जिसका सीधा असर भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) की बढ़ती कीमतों पर दिखेगा.
कितनी बढ़ सकती है कीमत
दरअसल, सभी घरेलू तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन तब से लेकर अब तक कच्चा तेल 20 डॉलर प्रति बैरल से से भी ज्यादा महंगा हो गया है. जानकारों का कहना है कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध लंबा चलता है तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है. ऐस में भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सीधा नकारात्मक असर पड़ता दिख सकता है.
टकराव और वैश्विक बाजारों की स्थितियों के बीच घरेलू तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी कर सकती है. संभव है कि यह बढ़ोतरी एक साथ ना की जाए और दो-तीन चरणों में इनके दामों में इजाफा किया जाए.
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महंगाई की पड़ेगी मार
इसके अलावा टकराव के कारण वैश्विक बाजार में प्राकृतिक गैस की कीमतें भी बढ़ रही हैं. इसके चलते आने वाले दिनों में LPG और CNG के दाम भी 10 से 15 रुपए तक बढ़ सकते हैं. इसका सीधा असर महिलाओं की रसोई पर पड़ेगा.पेट्रोल-डीजल से लेकर रसोई गैस की दामों में बढ़ोतरी की संभावनाएं स्पष्ट कर रही हैं कि देश में वैश्विक टकराव के कारण महंगाई का नया तांडव देखने को मिल सकता है.
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