डीएनए हिंदी: ओपेक प्लस क्रूड ऑयल प्रोडक्शन (Crude Oil Production) में इजाफे का ऐलान कर दिया है. जुलाई से प्रोडक्शन 4.32 मीलियन बैरल से 6.40 मीलियन बैरल करने का फैसला कर लिया है. वैसे देखें तो यह इजाफा करीब 50 फीसदी का है, लेकिन दुनियाभर की कुल खपत के मुकाबले यह बढ़ोतरी 0.7 फीसदी के करीब है, जोकि काफी कम है. वहीं दूसरी ओर रूस-युक्रेन जियो पॉलिटिकल टेंशन (Geo Political Tension) अभी कायम है. अमेरिका और यूरोप की डिमांड में इजाफा हो गया है. चीन लॉकडाउन से बाहर निकल गया है. ऐसे में बफर स्टॉक के लिए भी डिमांड में इजाफा होना तय है.
साथ ही दुनियाभर के देश अब पहले के मुकाबले अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व में इजाफा करने के बारे में सोचेंगे तो ऐसे में ऑयल की डिमांड में इजाफा होना तय है. जानकारों का कहना है कि अगर इस प्रोडक्शन को 10 मिलियन बैरल कर दिया जाता तो इसका असर बेहतर देखने को मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में प्रोडक्शन में इजाफे के बावजूद भी पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आने के कोई आसार नहीं देखने को मिल रहे हैं. आइए आपको भी बताते हैं वे कुछ अहम कारण जिनकी वजह से पेट्रोल और डीजल सस्ते नहीं होंगे.
जियो पॉलिटिकल टेंशन
दुनियाभर मे यूक्रेन-रूस वॉर की वजह से फैले जियो पॉलिटिकल टेंशन का असर अभी हाल में खत्म होने वाला नहीं है. जिसकी वजह से सप्लाई समस्याएं आगे भी बनी रह सकती है. जिसके असर से क्रूड ऑयल में तेजी बनी रह सकती है. आईआईएफएल के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि भले ही रूस अभी ओपेक प्लस का मेंबर हो, लेकिन जियो पॉलिटिकल टेंशन बने रहने के कारण सप्ताई बाधित रह सकती है. जिसकी वजह से क्रूड ऑयल के दाम में तेजी बरकरार रह सकती है. ओपेक के प्रोडक्शन बढ़ाने के फैसले का असर ज्यादा नहीं रहने वाला है.
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अमेरिका और यूरोप में डिमांड में इजाफा
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के यूरोप ने रूस के ऑयल पर प्रतिबंध लगा दिया है ऐसे में वह अब दूसरे प्रोड्यूसर पर डिपेंड रहेगा. साथ ही यूरोप समर सीजन की ओर आगे बढ़ रहा है तो ऑयल की डिमांड में इजाफा होगा. दूसरी ओर अमेरिका में भी फ्यूल और कच्चे तेल के भंडार में कमी देखने को मिली है. जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की मांग में और ज्यादा इजाफा होगा. ऐसे में ओपेक ने जितना प्रोडक्शन बढ़ाने की बात कही है वह पर्याप्त नहीं है. आपको बता दें कि यूएस द्वारा ऑयल रिजर्व बाहर निकालने की वजह से क्रूड भंडार 5.1 मिलियन कम हो गया है.
चीन लॉकडाउन से बाहर
केडिया के अनुसार, दुनिया में चीन क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है. कुछ महीनों से शंघाई की ओर से कोविड—19 प्रसार के कारण लॉकडाउन लगाया हुआ था. अब चीन से लॉकडाउन हट गया है. जिसके बाद क्रूड ऑयल की डिमांड में इजाफा होना तय है. देश के शुरुआती चार महीने में चीन का क्रूड ऑयल इंपोर्ट 10 मिलियन बैरल के आसपास रहा है. मई के महीने में लॉकडाउन खुल गया है. जिसके बाद इसमें इजाफा होने की उम्मीद है, जो 15 मिलियल बैरल के पार जाने की उम्मीद है.
बफर स्टॉक में इजाफे की वजह से बढ़ेगी डिमांड
अनुज गुप्ता के अनुसार कई कंपनियां अब अपने बफर स्टॉक में भी इजाफा करेंगी. वास्तव में जियो पॉलिटिकल टेंशन की वजह से सप्लाई बाधित होने के कारण कई कंपनियों को क्रूड ऑयल की किल्लत का सामना करना पड़ा था. अब जब ओपेक ने प्रोडक्शन बढ़ाने की बात की है तो कंपनियां अपने बफर स्टॉक में इजाफा करेंगी. जिससे डिमांड के हाई रहने के आसार हैं. अगर ऐसा होता है तो ऑयल प्रोडक्शन में इजाफा करने का कोई फायदा नहीं होने वाला है.
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स्ट्रैटिजिक रिजर्व में डिमांड
गुप्ता ने आगे कहा कि सप्लाई और प्रोडक्शन कम होने के कारण कुछ महीने पहले कुछ देशों ने अपने स्ट्रैटिजिक ऑयल रिजर्व को बाहर निकाला था. जिसमें यूएस, जर्मनी, भारत, जापान जैसे कई देशा शामिल थे, ताकि क्रूड ऑयल की कीमत को कम किया जा सके. अब सभी देश अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व को और मजबूत करने का प्रयास करेंगे. ऑयल रिजर्व बढ़ाने के लिए देशों की सरकारों की ओर से डिमांड बढ़ेगी और कीमतों में उछाल बना रहेगा. ऐसे में प्रोडक्शन के नंबर को और बढ़ाना जरूरी है.
कस्टम ड्यूटी की रिकवरी
आमतौर पर कहा जाता है कि जब भी इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम में इजाफा होता है तो भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी आती है और अगर क्रूड ऑयल में गिरावट आती है तो पेट्रोल और डीजल सस्ता होता है. लेकिन इस बार परिस्थितियां काफी अलग है. काफी समय में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को क्रूड ऑयल 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पड़ रहा है. कॉस्टिंग काफी बढ़ गई है, लेकिन फ्यूल के दाम में इजाफा नहीं हुआ है. वहीं दूसरी ओर सरकार ने 21 मई को एक्साइज ड्यूटी में कमी की है, जिसकी रिकवरी के लिए क्रूड ऑयल के दाम कम होने के बाद भी पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती की संभावना कम ही है.
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें
मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 117.53 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. जबकि अमेरिकी क्रूड ऑयल डब्ल्यूटीआई की कीमत 116.73 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही हैं. आंकड़ों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में एक महीने में करीब 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जबकि साल 2022 में यह इजाफा 60 फीसदी से ज्यादा देखने को मिल सकता है.
घरेलू बाजार में कच्चा तेल 9000 रुपए प्रति बैरल के पार
घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी इंडेक्स में कच्चा तेल फ्लैट कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है. क्रूड प्रोडक्शन में इजाफे के बाद भी भारत में कच्चा तेल 9000 रुपए प्रति बैरल पर कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है. आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में क्रूड ऑयल 9024 रुपए प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. जबकि शुरुआत 9039 रुपए प्रति बैरल से हुई थी. जो कारोबारी सत्र के दौरान 9082 रुपए प्रति बैरल तक पहुंचा.
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