डीएनए हिंदी: दुनियाभर में भारतीय शेयर बाजार दुनिया के उभरते हुए बाजारों में शुमार है. विदेशी निवेशकों का रुख भारतीय शेयर बाजार में काफी सकारात्मक देखने को मिला है. बीते दशक में फॉरेन इंवेस्टर्स ने बाजार में 4.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है. लेकिन बीते 7 महीनों भारतीय शेयर विदेशी निवेशकों की बेरुखी झेल रहा है. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से 2.5 लाख करोड़ रुपए निकाल लिया है. एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार 2014 से लेकर 2020 तक विदेशी निवेशकों का निवेश 2.2 लाख करोड़ रुपए देखने को मिला था. 

विदेशी निवेशकों ने क्यों निकाला इंवेस्टमेंट

  • भारतीय शेयर बाजार ओवर वैल्यूड हो गया था, जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों ने मुनाफावसूली की. 
  • यूक्रेन-रूस वॉर की वजह से पैदा हुआ जियो पॉलिटिकल टेंशन भी वजह बना. 
  • जियो पॉलिटिकल टेंशन बढऩे की वजह से क्रूड ऑयल और कमोडिटी की कीमतें आसमान पर पहुंच गई. 
  • जिसकी वजह से ग्लोबली महंगाई का दबाव बढऩे लगा. 
  • महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा किया. 
  • ब्याज दरों में इजाफे के कारण ग्रोथ पर पडऩे वाले नेगेटिव असर की वजह से विदेशी निवेशकों ने सेलऑफ किया है. 

सिर्फ भारत ही नहीं हुआ शिकार 
विदेशी निवेशकों की बेरुखी का शिकार सिर्फ भारत ही नहीं हुआ है. बल्कि दुनिया के बाकी देश भी हुए हैं. ताइवान और साउथ कोरिया के बाजारों से ​विदेशी निवेशकों ने भारी बिकवाली की है. आंकड़ों को देखें तो विदेशी निवेशकों ने ताइवान से 28 अरब डॉलर बाहर निकाल लिए हैं. जबकि साउथ कोरिया के बाजार से करीब 13 अरब डॉलर की निकासी की है. 

शेयर बाजार पर कितना पड़ा असर
विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से भारतीय शेयर बाजार पर काफी गहरा असर देखने को मिला है. विदेशी निवेशकों की बिकवाली जो अक्टूबर 2021 से शुरू हुई थी वो अभी तक जारी है. इस दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 8 फीसदी से ज्यादा गिर गया है. वहीं दूसरी ओर अमरीका, चीन और यूरोप के बाकी बाजारों में निफ्टी की तुलना में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. मतलब साफ है कि विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड बिकवाली के बाद भी भारतीय शेयर बाजार मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. 

घरेलू निवेशकों का मजबूत रुख 
जहां एक ओर विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से अपना निवेश को बाहरा निकाला है, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशकों ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए इनफ्लो को तेज किया है. घरेलू फंड और रिटेल निवेशकों ने इस जमकर खरीदारी की है. जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों की निकासी को बैलेंस करने का काम किया है. वित्त वर्ष 2021—22 में घरेलू रिटेल निवेशकों 2.1 करोड़ रुपए निवेश किया है. जिससे विदेशी निवेशकों की ओर से निकाले गए 2.2 लाख करोड़ रुपए की भरपाई हो गई. जबकि घरेलू म्यूचुअल फंड्स की ओर से 2021—22 में 1.1 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है. जिसकी वजह से घरेलू शेयर बाजार पर इतना बड़ा असर नहीं देखने को मिला है. 

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Over 2 lakh crore foreign investment wiped out from share market in last 7 months
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7 महीने में साफ हुआ 7 साल का विदेशी निवेश, जानिए कारण 
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7 महीने में साफ हुआ 7 साल का विदेशी निवेश, जानिए कारण