रोजगार और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान के लिहाज से MSME सेक्टर को इकॉनोमी की बैकबोन कहना गलत नहीं होगा. ऐसे में कोरोना काल में सरकार ने सबसे पहले और सबसे ज्यादा राहत इसी सेक्टर को देने का ऐलान किया था लेकिन कोरोना का कहर कुछ इस कदर था कि माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज (MSME) को सरकार की इस राहत के बावजूद कारोबार जारी रखना भारी पड़ रहा है. ऐसे में बजट से पहले ये सेक्टर सरकार से अपने लिए ही नहीं देश की जनता के लिए भी राहत की मांग कर रहा है जिससे आखिरकार खपत बढ़े और कारोबार रफ्तार पकड़ ले.
MSME की ये हैं मांगें
दरअसल, GST के रेट और इसके अनुपान की जटिल प्रकिया से माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज (MSME) सेक्टर बेहद परेशान है. ऐसे में सेक्टर की मांग है कि जीएसटी (GST) को सुगम और सरल बनाया जाए. छोटे कारोबारियों के लिए व्यापार करना आसान बनाया जाए और हर पहलू पर नियमों के पालन का बोझ नहीं पड़ना चाहिए. ये सेक्टर जीएसटी, लोन, लाइसेंसिंग या ऑडिट को कम किए जाने और कॉम्पलाएंस भी कम होने की मांग कर रहा है. कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के बोझ से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार को GST की दरों को तर्कसंगत बनाकर छोटे कारोबारियों की मदद करनी होगी. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में GST रेट को 18% से घटाकर 12 परसेंट करनी चाहिए. बता दें इन डिमांड्स को आसानी से खारिज करना भी सरकार के लिए आसान नहीं है क्योंकि देश में करीब साढ़े 6 करोड़ MSME है जिनसे 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है. देश की GDP में MSME की 30 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि मैन्युफैक्चरिंग में इसका हिस्सा 45 परसेंट, एक्सपोर्ट में 40 प्रतिशत है. जाहिर है इन डिमांड्स की अनदेखी करना इस सेक्टर की सेहत को नासाज कर सकता है. इसके अलावा MSME की बाकी डिमांड्स में महंगाई को कम करना, कर्ज सुविधाओं का विस्तार करना, इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को जारी रखना, कर्ज पुनर्गठन योजना का दायरा बढ़ाना शामिल हैं. जाहिर है जिस तरह से तीसरी लहर ने फिर से प्रतिबंधों को लगाया है उसे देखते हुए इस सेक्टर को राहत का बेसब्री से इंतज़ार है. इसी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर भी खासकर रोपवे सेक्टर बजट में सरकार से कई तरह की उम्मीदें लगाए बैठा है.
हालांकि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के ज़रिए सरकार पहले ही 100 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश का ऐलान कर चुकी है लेकिन इस रकम का फायदा हर एक सेगमेंट तक पहुंचे इसके लिए सभी को फायदा पहुंचाना ज़रुरी है.
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MSME ने सरकार से लगाई राहत देने की गुहार, GST में हो सकता है बदलाव