डीएनए हिंदी: हमें अच्छी लाइफ़स्टाइल के लिए तरीक़े से इन्वेस्टमेंट करना चाहिए. अमूमन ज्यादातर लोग नौकरी करते हैं और उन्हें महीने के अंत में सैलरी मिलती है. अब इस सैलरी में काट-छांट को देखकर कई लोग नाक-भौं चढ़ा लेते हैं जबकि सैलरी में से टैक्स, स्टेट टैक्स और सबसे अहम हिस्सा EPF कटता है. इस EPF को देखकर ही लगता है कि जो 1800 रुपये कटे हैं अगर वह भी हमारे अकाउंट में आ जाता तो कितना अच्छा होता. हालांकि अगर आपकी भी ऐसी सोच है तो बता दूं EPF (Employee Provident Fund) बहुत ही जरुरी फण्ड है. इसका इस्तेमाल हम इमरजेंसी के वक्त कर सकते हैं.
EPF के कटने का तरीका
EPF में एंप्लॉयर (Employer) व इंप्लॉई (Employee) दोनों का ही योगदान होता है, इसमें इंप्लॉई की बेसिक सैलरी+DA का 12-12 फीसदी अंश होता है. हालांकि एंप्लॉयर के 12 फीसदी योगदान में से 8.33% इंप्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है और अन्य हिस्सा इंप्लॉई के PF में जमा होता है. हालांकि यदि कोई इंप्लॉई अपनी तरह से भविष्य निधि में योगदान बढ़ाना चाहता है तो ऐसा वह वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) के जरिए कर सकता है.
क्या होता है VPF?
जब कर्मचारी EPF में 12% से ज्यादा PF अकाउंट में योगदान करता है तो उसे VPF (Voluntary Provident Fund) कहते हैं. कर्मचारी चाहे तो अपनी बेसिक सैलरी का 100% अमाउंट VPF में कॉन्ट्रीब्यूट कर सकता है. लेकिन एंप्लॉयर इसमें योगदान करने के लिए बाध्य नहीं है. VPF की सेवा सिर्फ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ही है.
VPF का लाभ कैसे उठाएं?
VPF का फायदा लेने के लिए इंप्लॉई अपने कंपनी के HR से संपर्क करें और बताएं कि उन्हें कितना योगदान करना है. अगर कंपनी में VPF की सुविधा उपलब्ध होगी तो HR आपको एक फॉर्म भरने के लिए देंगे. फॉर्म में आप योगदान करने की रकम लिखकर HR को दे देंगे. बता दें कि यह प्रक्रिया वित्त वर्ष शुरू होते वक्त होती है. इंप्लॉई चाहे तो हर साल VPF में योगदान करने वाले रकम में संशोधन कर सकता है.
VPF में 80C के तहत टैक्स में छूट भी मिलता है. यानी एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
- Log in to post comments
Voluntary Provident Fund में करें निवेश, होगी टैक्स में बचत