डीएनए हिंदी: देश में लगातार महंगाई (Inflation) बढ़ रही है. इसकी बड़ी वजह पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में बढ़ोतरी से लॉजिस्टिक कॉस्ट मे और कच्चे माले की कीमतों में हुआ इजाफा माना जा रहा है. इसके बावजूद कुछ चीजों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है जो कि लोगों को एक अच्छी बात लग रही है लेकिन शायद ये लोग इस बात से अनजान हैं कि महंगाई का असर प्रोडक्ट की कीमतों की बजाए उसके साइज और वजन पर पड़ रहा है. 

Inflation के लिए कंपनियों की नई रणनीति

दरअसल, खाने पीने के इस्तेमाल से लेकर घरेलू उपयोग की वस्तुओं के दामों में तो खास बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन उनके पैकेट का साइज छोटा और हल्का हो गया है और इनके पैकेट या पैक हल्के होने के पीछे वजह तो महंगाई ही है लेकिन अपने प्रॉडक्ट्स की डिमांड बरकरार रखने के लिए लगभग सभी कंपनियों ने यही रणनीति अपनाई है. पैक हल्का होने पर ग्राहक को महंगाई एक झटके में महसूस नहीं होता जबकि रेट बढ़ा देने से महंगाई साफ दिखने लगती है और ये भी संभव है कि ग्राहक वह सामान खरीदना ही बंद कर दें जिससे कंपनी के सेल्स पर बुरा असर पड़ता है.

कंपनियां फिक्स्ड-प्राइस आइटम के वजन को कम करके हाई इनपुट प्राइस यानी उच्च लागत मूल्य को एडजस्ट कर र​हीं हैं. उन्होंने कम आय वाले और ग्रामीण क्षेत्र के कस्टमर्स को ध्यान में रखते हुए इन प्रोडक्टर्स की कीमत बढ़ाने के बदले आकार या वजन कम करने का फंडा अपनाया है. खाद्य तेलों, अनाज और ईंधन की बढ़ती कीमतों के बीच यूनिलीवर पीएलसी की भारतीय इकाई और घरेलू कंज्यूमर गुड्स कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, डाबर इंडिया लिमिटेड सहित अन्य कंपनियां अपने सबसे सस्ते पैकेजों को हल्का कर रही हैं जो कि असल में महंगाई (Inflation) की ही नतीजा है

अमेरिका में भी ऐसी ही रणनीति

वहीं महंगाई बढ़ने के इस नई तकनीक अमेरिका में खूब इस्तेमाल किया जाता है इसके तहत कंपनियां ग्राहकों के मनोविज्ञान से खेलती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों की ओर से पैकेट का वजन कम करना भारत के लिए कोई नई बात नहीं है. अमेरिका में सबवे रेस्टोरेंट, डोमिनोज़ पिज्जा सहित अन्य कंपनियों ने लागत कम करने के लिए प्रोडक्ट को छोटा करने की ही रणनीति अपनाई है.

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गौरतलब है कि कंपनियों ने यह रणनीति ऐसे वक्त अपनाई है जबकि पिछले 4 महीनों से इंडियन कंज्यूमर प्राइस यानी महंगाई केंद्रीय बैंक के लक्ष्य 6 फीसदी ऊपरी सीमा से ऊपर चली गई है. अप्रैल में महंगाई दर 8 साल के उच्च स्तर करीब 7.8 फीसदी पर पहुंच गई है. वहीं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी यह कह चुके हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के कारण अभी भारतीय बाजार में अभी और महंगाई बढ़ने की संभावनाएं हैं. 

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Inflation: From namkeen to soap price did not increase but the weight decreased
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8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा Inflation Rate
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Inflation: From namkeen to soap the price did not increase but the weight decreased
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Inflation: नमकीन से लेकर साबुन तक... कीमत नहीं बढ़ी लेकिन घट गया वजन