डीएनए हिंदी: यूरो करेंसी (Euro Currency) का इस्तेमाल करने वाले यूरोपीय संघ (European Union) में मुद्रास्फीति (Inflation) मई के महीने में 8.1 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. इसके पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से फ्यूल की लागत बढ़ने की अहम भूमिका रही है. यूरोप के 19 देशों के इस ग्रुप में मार्च और अप्रैल के महीनों में भी महंगाई 7.4 फीसदी के हाई लेवल पर रही थी. यूरोपीय संघ की सांख्यिकीय संस्था यूरोस्टैट (Eurostat) ने मंगलवार को बताया कि मई, 2022 में ऊर्जा उत्पादों की लागत बढ़ने से मुद्रास्फीति 8.1 प्रतिशत के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.
एनर्जी प्रोडक्ट्स की कीमतों में 39 फीसदी का इजाफा
इस दौरान एनर्जी प्रोडक्ट्स की कीमतों में 39.2 प्रतिशत की भारी वृद्धि देखी गई. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पेट्रोलियम उत्पादों एवं गैस की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. प्रमुख तेल एवं गैस निर्यातक रूस पर यूरोपीय देशों ने पाबंदी लगा रखी है जिसकी वजह से उनकी ऊर्जा लागत बढ़ गई है. इस महंगाई ने यूरोपीय संघ में रहने वाले 34.3 करोड़ लोगों की जिंदगी को भी मुश्किल बना दिया है. वर्ष 1997 में यूरो मुद्रा के लिए आंकड़े रखे जाने शुरू होने के बाद से यह मुद्रास्फीति का सबसे ऊंचा स्तर है. ऐसी स्थिति में यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) के नीति-निर्माताओं के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं. बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए अब उन पर बहुत निचले स्तर पर मौजूद नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का दबाव बढ़ जाएगा.
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कपड़ों से लेकर कंप्यूटर तक के बढ़े दाम
यूरोस्टैट के आंकड़ों के अनुसार मई, 2022 में एक साल पहले की तुलना में खाद्य मुद्रास्फीति भी 7.5 प्रतिशत बढ़ी है. इसके अलावा कपड़े, घरेलू उपकरण, कार एवं कंप्यूटर के दाम 4.2 प्रतिशत बढ़ गए. वहीं सेवाएं भी 3.5 प्रतिशत महंगी हो गई हैं. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि रूस-यूक्रेन संकट यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था के साथ आम जनजीवन पर भी कितना भारी पड़ रहा है. यह अलग बात है कि बढ़ती मुद्रास्फीति का सामना यूरोप के अलावा अमेरिका और भारत जैसे देशों को भी करना पड़ रहा है.
अभी और बढ़ सकती है महंगाई
वहीं दूसरी ओर आज यूरोपीयन यूनियन ने रूस के ऑयल पर 90 फीसदी तक बैन लगा दिया है. यूरोप अपनी जरुरत का करीब एक चौथाई हिस्सा रूस से आयात करता है. साल 2020 में रूस ने अपने कुल निर्यात का 53 फीसदी हिस्सा क्रूड ऑयल यूरोप को ही किया था. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यूरोप रूस पर कितना निर्भर करता है. अब दो तिहाई बैन लगने से आने वाले दिनों में यूरोप में फ्यूल के दाम में और इजाफा देखने को मिलेगा और महंगाई के आंकड़ें भयावह देखने को मिल सकते हैं.
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फ्यूल प्राइस की वजह से 25 साल की उंचाई पर यूरोप में महंगाई