डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कई पश्चिमी देशों समेत अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. वहीं अब अमेरिका इन देशों के साथ मिलकर रूसी तेल पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन के संकेतों के कारण अब क्रूड ऑयल की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी बनी हुई है और यह 14 वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंच चुका है.
भारत को लग सकता है झटका
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावनाएं हैं. ग्लोबल मार्केट में जैसे-जैसे क्रूड की कीमतें बढ़ेंगी, भारत का इम्पोर्ट बिल भी बढ़ता जाएगा. इससे विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आने का खतरा है. इसे रोकने के लिए सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा करना ही होगा जो कि महंगाई का नया झटका साबित हो सकता है.
आग उगल रही क्रूड ऑयल की कीमतें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेंट क्रूड अभी 11.67 डॉलर यानी लगभग 10 फीसदी चढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. यह 2008 के बाद क्रूड ऑयल का सबसे ऊंचा स्तर है. इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी की बढ़त के बाद 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है.
क्रूड आयल के इन दोनों ही वेरिएंट में यह मई 2020 के बाद की सबसे बड़ी एक दिन की बढ़त है. रविवार को कारोबार शुरू होने के कुछ मिनटों में ही क्रूड ऑयल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट दोनों जुलाई 2008 के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच गए. जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और WTI 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
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खास बात यह है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश ईरान के कच्चे तेल की वैश्विक बाजार में वापसी कराने के लिए नए सिरे से वार्ता शुरू कर सकता है. ऐसे में इस वापसी के कयासों में निश्चितता न होने के कारण कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही है.
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