डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण वैश्विक बाजार डांवाडोल स्थिति में हैं. ऐसे में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है. ऐसे में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी हो रही है जो कि वैश्विक महंगाई का संकेत दे रही है. ताजा आंकड़े की बात करें तो अब कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमत 121 डॉलर/बैरल के आंकड़े को भी पार कर गई है. ऐसी स्थिति में अब तेल के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत के इंपोर्ट बिल और यहां की जनता पर मंहगाई का दबाव पड़ सकता है.
पेट्रोल डीजल की कीमत में उछाल
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर पड़ रहा है और पेट्रोलियम कंपनियों का घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसका नतीजा यह हुआ है कि 137 दिनों बाद कंपनियों ने सोमवार को पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) की कीमतों में 80 पैसे की बढ़ोतरी की थी और फिर मंगलवार को फिरल 80 पैसे बढ़ा दिए थे. ऐसे में पिछले दो दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 1.60 पैसे का उछाल आ गया है.
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बढ़ सकती हैं कीमतें
ऐसे में जिस तरह से कच्चे तेल की कीमत 121 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को पार कर गई हैं. यह इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं विश्लेषकों को कहना है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 17 रुपये से ज्यादा का इजाफा कर सकती है. यदि ऐसा होता है तो निश्चित हैं कि देश में महंगाई के सारे रिकॉर्ड टूटेंगे जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.
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