डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. वहीं अब केंद्र सरकार ने मंगलवार को गेहूं के निर्यात के आदेश में ढील देने की घोषणा की है. इस घोषणा में कहा गया है कि 13 मई या उससे पहले अगर गेहूं की खेप को जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सौंप दिया गया है और उनके सिस्टम में रजिस्टर्ड किया गया है तो ऐसी खेपों को निर्यात (Wheat Export Ban) के लिए अनुमति दी जाएगी. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यह निर्णय लिया गया है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेप को जांच के लिए सीमा शुल्क को सौंप दिया गया है और 13.5.2022 को या उससे पहले उनके सिस्टम में पंजीकृत किया गया है, ऐसी खेपों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी.”
बता दें कि केंद्र ने पहले से ही कांडला बंदरगाह पर लोड हो रही गेहूं की खेप को भी मिस्र ( Egypt) ले जाने की अनुमति दी है. दरअसल मिस्र में गेहूं के निर्यात के लिए 61,500 मीट्रिक टन गेंहू की लोडिंग पूरी करने की अनुमति मिली थी. इसमें से पहले ही 44,340 मीट्रिक टन गेहूं की लोडिंग की जा चुकी थी और अब 17,160 मीट्रिक टन गेहूं की लोडिंग होनी बाकि है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. लगातार देश में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी से देश में इसकी आपूर्ति में गिरावट आ रही थी. स्थानीय स्तर पर आपूर्ति करने के लिए सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया है.
आंकड़ों से पता चलता है कि कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से गेहूं के आटे की अखिल भारतीय औसत दैनिक खुदरा कीमतों में वृद्धि हुई है. इसमें 1 जनवरी से 5.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अप्रैल 2021 में दर्ज 31 रुपये प्रति किलोग्राम के औसत खुदरा मूल्य के मुकाबले अप्रैल 2022 में रिकॉर्ड ऊंचाई था.
सूत्रों की मानें तो आटे की कीमतों में लगातार वृद्धि यूक्रेन में युद्ध के कारण उत्पादन में गिरावट के बीच गेहूं की कीमतों में वृद्धि और भारतीय गेहूं की उच्च विदेशी मांग के कारण हुई है. डीजल की उच्च घरेलू कीमत ने गेहूं और आटे दोनों की रसद लागत (logistics cost) में इजाफा किया है.
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केंद्र सरकार ने wheat export प्रतिबंध में दी ढील, आखिर क्या है वजह?