डीएनए हिंदी: सुरक्षित निवेश (Safe Investment) के लिए सबसे अच्छा साधन पीएफ ही माना जाता है. पीएफ (PF) में निवेश करने पर तो पहले छूट भी मिलती थी लेकिन अब ये स्थितियां बदल चुकी हैं. पीएफ खाताधारकों (PF Account Holders) को छूट तो नहीं ही मिल रही है बल्कि उन्हें अब टैक्स भी देना पड़ेगा क्योंकि पीएफ से जुड़े टैक्स के नियमों में एक बड़ा बदलाव हुआ है. इसके तहत एक अप्रैल से अब पीएफ खातों से भी टैक्स वसूला जा सकता है. इसके साथ ही यदि कोई कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले पीएफ का पैसा निकालता है तो उसके नियमों में भी बदलाव किया गया है.
बजट में किया गया टैक्स का प्रावधान
दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 2022-23 के बजट में पीएफ को लेकर बड़ा ऐलान किया है जिसमें टैक्स के प्रावधान की बात कही गई है. इसके तहत यदि कोई खाताधारक ईपीएफ में एक साल में 2.5 लाख से अधिक का योगदान देता है तो उसे इस राशि पर टैक्स देना होगा. वहीं जो लोग इस पीएफ खाते के लिए योगदान नहीं देते हैं उनके लिए यह सीमा 5 लाख रुपये तक की रखी गई है.
दो भागों में बंटेगा अकाउंट
इसके साथ ही ईपीएफ के नए नियमों में यह भी बताया गया है कि यदि 2.5 लाख रुपये से योगदान ज्यादा होता है तो ऐसी स्थिति में एक पीएफ अकाउंट को दो अलग-अलग अकाउंट में बांटा जाएगा. इसमें से एक कर मुक्त अकाउंट होगा जबकि दूसरा अकाउंट कर योग्य होगा जिस पर लोगों को टैक्स देना होगा. गौरतलब है कि पहले ही पीएफ की ब्याज दरें अपने 40 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है.
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क्या है पीएफ का अकाउंट्स
आपको बता दें कि कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी योगदान पीएफ अकाउंट के लिए करते हैं और इतना ही योगदान कर्मचारी की कंपनी द्वारा भी होता है. इसकेल अलावा ईपीएफ खाताधारकों का 8.33 फीसदी पैसा पेंशन योजना के लिए जाता है जिस पर किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं मिलता है और शेष जमा राशि पर करीब 8.1 फीसदी का ब्याज मिलता है.
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