नई दिल्ली: सुपरटेक समूह (Supertech Group) की रियल स्टेट फर्म लिमिटेड कंपनी को लगभग 432 करोड़ रुपये का भुगतान न करने के कारण भारत की दिवालियापन अदालत ने कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया है और कंपनी के खिलाफ दिवालिया कानूनों के तहत कार्यवाही भी शुरू हो गई है. यह एक ऐसा कदम है जिससे दिल्ली-एनसीआर Delhi-NCR के करीब 25 हजार घर खरीदने की उम्मीद पाले हुए हुए ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है. इस कार्यवाही की वजह कंपनी द्वारा समय पर कर्ज का भुगतान ना कर पाना है.
यूनियन बैंक का नहीं ंचुकाया है कर्ज
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए एनसीएलटी ने कहा: "वित्तीय ऋण के भुगतान में चूक हुई है." इसके साथ ही हितेश गोयल को सुपरटेक लिमिटेड के बोर्ड की जगह अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया. पीएसएन प्रसाद और राहुल भटनागर की दो सदस्यीय एनसीएलटी पीठ ने कहा कि वित्तीय लेनदार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ-साथ कॉरपोरेट कर्जदार सुपरटेक द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों ने पूर्व के इस दावे को "प्रमाणित" किया है कि एक कर्ज था जिस पर बिल्डर ने चूक की थी.
इसके अलावा सुपरटेक को किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण और निपटान से भी रोक दिया गया है. डिफ़ॉल्ट में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) में इको विलेज II परियोजना को दिया गया ऋण शामिल है जिसे 1,106.45 करोड़ रुपये में विकसित किया जा रहा था. 2013 में, सुपरटेक लिमिटेड ने बैंकों के एक संघ से 350 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से संपर्क किया था और उनमें से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रमुख बैंक था. 30 दिसंबर 2013 को बैंकों और सुपरटेक के बीच एक ऋण समझौता किया गया था लेकिन कंपनी तब से लेकर अब तक समय पर भुगतान करने में बार-बार विफल रही.
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कंपनी और ग्राहकों दोनों को झटका
पिछले साल से नोएडा स्थित डेवलपर्स के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है. पिछले साल 31 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के जुड़वां 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था जो भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए नोएडा में निर्माणाधीन एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा है. ऐसे में अब यह दिवालिया कानून का नया झटका कंपनी के लिए तो खतरे का है ही लेकिन अब एक बड़ा झटका 25 हजार ग्राहकों को भी लगा है क्योंकि उनका घर मिलने में अब नए अड़ंगे लग सकते हैं.
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