डीएनए हिंदी: गौतम अडाणी (Gautam Adani) अब भारत के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे धनवान शख्स बन गए हैं. उनके मालिकाना हक वाला अडाणी ग्रुप (Adani Group) लगातार कई कंपनियों का अधिग्रहण करता जा रहा है. इस बीच आशंका जताई जा रही है कि अडाणी ग्रुप असलियत में इतना अमीर नहीं है और उसने तमाम लोन ले रखे हैं. अब खुद अडाणी ग्रुप ने इन आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि उसने आधे से ज्यादा कर्ज चुका दिया है. अडाणी ग्रुप ने यह भी बताया है कि बीते कुछ सालों में कंपनियों की आय काफी तेजी से बढ़ी भी है.
अडाणी ग्रुप ने कहा है कि ऑपरेटिंग प्रॉफिट के अनुपात में उसके शुद्ध कर्ज की स्थिति में सुधार हुआ है. इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लिए गए आधे से ज्यादा कर्ज को उसने चुका दिया है. अडाणी समूह ने बहुत ज्यादा कर्ज का बोझ होने के बारे में आई क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट के जवाब में 15 पन्नों का एक नोट जारी किया है. इसमें कहा गया है कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों ने लगातार कर्ज चुकाया है और कर्ज एवं ब्याज, टैक्स, वैल्यू डेप्रिएशन से पहले की आय (कर-पूर्व या एबिटा आय) का अनुपात घटकर 3.2 गुना रह गया है जबकि नौ साल पहले यह 7.6 गुना हुआ करता था.
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55 प्रतिशत से घटकर 21 प्रतिशत रह गया कर्ज
अडाणी ग्रुप के इस नोट के मुताबिक, 'अडाणी ग्रुप की कंपनियां कारोबार एक सरल लेकिन सशक्त और दोहराए जाने लायक कारोबारी मॉडल पर काम करती हैं जिनका ध्यान विकास एवं उत्पत्ति, परिचालन और प्रबंधन एवं फंड मैनेजमेंट प्लान पर होता है.' अडाणी समूह के पास उपलब्ध नकदी को ध्यान में रखें तो उसपर मार्च, 2022 में 1.88 लाख करोड़ रुपये का सकल कर्ज और 1.61 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध कर्ज था. अडाणी ग्रुप ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में उसकी कंपनियों के कुल कर्ज में सार्वजनिक बैंकों से लिए गए कर्ज का अनुपात 55 प्रतिशत पर था लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में यह घटकर कुल कर्ज का सिर्फ 21 प्रतिशत रह गया.
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वित्त वर्ष 2015-16 में निजी बैंकों से लिए गए कर्ज की कुल ऋण में हिस्सेदारी 31 प्रतिशत हुआ करती थी जो अब घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई है. इसके उलट बॉन्ड के जरिए जुटाए गए कर्ज की हिस्सेदारी इस दौरान 14 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो चुकी है. फिच समूह की फर्म क्रेडिटसाइट्स ने पिछले महीने जारी एक रिपोर्ट में अडाणी समूह के भारी कर्ज में डूबे होने की बात कही थी. उसका कहना था कि अडाणी समूह बड़े पैमाने पर कर्ज लेकर उस राशि का इस्तेमाल अपने मौजूदा कारोबार के विस्तार एवं नए कारोबारों को खड़ा करने में कर रहा है.
अडाणी ग्रुप की कंपनियों के डूबने की आशंका
क्रेडिटसाइट्स ने यह आशंका भी जताई थी कि हालात बिगड़ने पर अडाणी ग्रुप की लोन-बेस्ड कारोबार योजनाएं भारी कर्ज के जाल में डूब सकती हैं और इसका नतीजा एक या एक से ज्यादा कंपनियों के कर्ज भुगतान चूक के रूप में भी आ सकता है. अडाणी ग्रुप ने पिछले कुछ वर्षों में ही अपने कारोबार का बड़ी तेजी से विस्तार किया है. कोयला खनन, बंदरगाह, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर, सीमेंट, एल्युमिनियम और शहरी गैस वितरण जैसे तमाम कारोबार क्षेत्रों में समूह काम कर रहा है.
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अडाणी ग्रुप ने आगे कहा है, 'पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियों ने बीते दशक में इंडस्ट्री को पीछे छोड़ने वाली रफ्तार से विस्तार किया है. ऐसा करते हुए हमारी कंपनियों ने एबिटा आय के अनुपात में शुद्ध कर्ज को नीचे लाने के लिए लगातार काम किया है. पिछले नौ वर्षों में एबिटा आय सालाना 22 प्रतिशत की दर से बढ़ी है जबकि कर्ज की वृद्धि दर 11 प्रतिशत ही रही है.'
कंपनी ने क्रेडिटसाइट्स द्वारा दिए गए आंकड़ों से इतर आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि उसकी कंपनियों के कर्ज का अनुपात स्वस्थ बना हुआ है और इंडस्ट्री मानकों के अनुरूप है. अडाणी ग्रुप ने कहा, 'पिछले 10 सालों में हमने अपनी फंड मैनेजमेंट रणनीति के जरिए अपने कर्ज मानकों को बेहतर करने के लिए लगातार काम किया है.' क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट में अडाणी एंटरप्राइजेज की एबिटा आय का अनुपात 1.6 बताया गया था, जबकि समूह ने इसे 1.98 बताया है.
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