कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था की गति मंद होने की बात तो सब जानते हैं. इस दौरान भी भारतीयों ने बचत करने की अपनी अच्छी आदत बरकरार रखी है और रिकॉर्ड सेविंग की है. साल 2020-21 के एसबीआई इकनॉमिस्ट में यह बात सामने आई है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू कामों में खर्च होने वाले पैसे में से लोगों ने ज्यादातर बचत की है. महामारी की वजह से लोग घरों में कैद थे और बाहर नहीं निकल रहे थे. ऐसे में घरेलू स्तर पर 7.1 लाख करोड़ रुपये देश के लोगों ने बचाए हैं.
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भारतीयों के बीच बचत का आकर्षण हमेशा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी की वजह से अस्थिरता और नौकरी जाने के खतरे की आशंका ने लोगों को भविष्य के लिए असुरक्षित कर दिया है. मुश्किल परिस्थितियों से निपटने के लिए लोगों ने घरेलू और रोजमर्रा की जरूरतों पर कटौती कर बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
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एसबीआई की ओर से डेटा विश्लेषण में पता चला है कि सोने-चांदी के जेवरों में निवेश करने का चलन कम हुआ है. 2015-16 में 46,469 करोड़ की बचत लोगों ने इस मद में खर्च किए थे. वित्त वर्ष 2021 में यह घटकर 38,444 तक पहुंच गया है.
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एसबीआई की हालिया रिपोर्ट इस ओर संकेत कर रही है कि भारतीयों की दिलचस्पी फिजिकल एसेट (भौतिक संपत्ति) के लिए बढ़ी है. सोने-चांदी की जगह पर लोग संपत्ति में निवेश करने में ज्यादा विश्वास जता रहे हैं. इसके अलावा, कैपिटल मार्केट में पैसा लगाना भी लोगों को अब बेहतर विकल्प लग रहा है.
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वित्त वर्ष 2020-21 इस लिहाज से उल्लेखनीय है कि इस साल रिकॉर्ड डीमैट खाते खोले गए हैं. लोगों ने बचत के पैसों को शेयर मार्केट में लगाने में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है. अब तक भारत में बचत के पारंपरिक विकल्प के तौर पर नहीं देखा जाता था. अप्रैल से नवंबर 2021 के बीच 221 लाख लोगों के निजी डीमैट अकाउंट खोले गए हैं.