डीएनए हिंदी: आप जो गोल्ड खरीद रहे हैं क्या वह शुद्ध सोना है और अगर नहीं है तो कैसे पता करें. मिलावट के इस बाजार में अभी भी कई ऐसे ज्वैलर्स हैं जो ग्राहकों का फायदा उठाकर बिना हॉलमार्क के कम कैरेट वाला सोना या अशुद्ध सोना बेच देते हैं. ये सोना कुछ ही दिनों में खराब हो जाते हैं. वहीं जब ऐसे गोल्ड को मार्केट में बेचने जाते हैं तो उसके निर्धारित मूल्य से कम रेट पर बिकता है. अब सरकार ने इसी को देखते हुए हॉलमार्किंग का नया नियम बनाया है. बता दें कि इस साल के 1 जून से इसका दूसरा चरण शुरू हो जाएगा. बाकि देश के 256 डिस्ट्रिक्स में इसका पहला चरण 23 जून 2021 को लागू किया गया था. अब इसके लागू होने के बाद बिना हॉलमार्क वाले Gold की बिक्री पर रोक लगेगी.
हॉलमार्क वाला सोना क्यों जरूरी है?
हॉलमार्क वाला सोना ही खरा सोना माना जाता है. हॉलमार्क से ही पता चलता है कि सोना शुद्ध है और वही प्रमाणित सोना होता है. यह सोना खासकर गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया से गुजरते हैं जिसके बाद इसे हॉलमार्किंग कहा जाता है. भारत सरकार के अंतर्गत BSI एजेंसी सोने की शुद्धता और सुन्दरता को प्रमाणित करने के लिए हॉलमार्किंग की इस प्रक्रिया को अपनाते हैं. बता दें कि ग्राहक गोल्ड से बना कोई भी आभूषण या कोई अन्य सामान खरीदता है तो उस पर हॉलमार्किंग होना जरूरी है. इस दौरान ख़रीदे गए गोल्ड की शुद्धता ग्रेड (How to check gold purity) कुछ भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता है.
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सोने की हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है
सोने की हॉलमार्किंग से ग्राहक को विश्वास होता है कि उसने जो सोना खरीदा है वह शुद्ध है. हालांकि इस नियम के लागू होने के बाद अगर कोई नकली सोना बेचता हुआ पाया जाता है तो अब उसकी खैर नहीं. ऐसे में बिना हॉलमार्क के सोना (Hallmarked gold) बेचने वालों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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1 जून से Hallmarked Jewellery को लेकर बदले ये नियम, हो जाएं तैयार