डीएनए हिंदी: दिसंबर शुरू हो गया है, नया वित्तीय वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 2022-23) 1 अप्रैल से शुरू होगा. 1 फरवरी को वित्त मंत्री की ओर से संसद में नए वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया जाएगा. लेकिन इन सबके बीच जो चीज आपके लिए सबसे ज्यादा कारगर है, वह यह है कि अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आपकी कंपनी आपसे इन्वेस्टमेंट का प्रूफ मांगने लगी होगी, जिसके आधार पर आपका टैक्स कटेगा. इसलिए आपको टैक्स सेविंग (Tax Saving) के लिए पहले से ही अच्छे से तैयारी कर लेनी चाहिए.
इसी आधार पर फॉर्म-16 बनेगा
आपको अपनी कंपनी को 1 अप्रैल से अब तक किए गए निवेश के बारे में बताना होगा. इसके आधार पर आपका फॉर्म-16 (Form-16) तैयार हो किया जाएगा. यहां हम कर बचत की योजना बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं. देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते टैक्स देना आपका कर्तव्य है. लेकिन आपके लिए अच्छा यही है कि आप जितना टैक्स बचा सकते हैं, बचा लें.
यहां समझें, कैसे बचा सकते हैं टैक्स?
टैक्स सेविंग के पैसे को आप अपने परिवार या बच्चे के भविष्य के लिए निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) से लेकर एफडी तक आज बाजार में निवेश के तमाम विकल्प मौजूद हैं. आज हम आपकी सैलरी और टैक्स के बारे में बात करते हैं. अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपए है तो भी आपको 1 रुपए टैक्स देने की जरूरत नहीं है.
ठीक से योजना बनाना जरूरी है
टैक्स बचाने के लिए सही तरीके से प्लानिंग (Planning for Tax Saving) करना जरूरी है. इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं. जिस कंपनी में आपने काम किया है, अगर उसमें आपकी सैलरी से पैसे कट गए हैं तो इस कैलकुलेशन के आधार पर आप जून-जुलाई में आईटीआर फाइल करके काटे गए पैसे को वापस पा सकते हैं. आइए आसान तरीके से जानते हैं पूरा कैलकुलेशन...
अगर आपकी सैलरी 12 लाख है तो आप 30 फीसदी टैक्स के दायरे में आते हैं. दरअसल, 10 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय पर 30 फीसदी की देनदारी होती है.
ये है पूरा गणित
1. हर कंपनी अपने कर्मचारियों को दो हिस्से में सैलरी देती है. किसी कंपनी में इसे पार्ट-ए (Part-A) और पार्ट-बी (Part-B) कहा जाता है. कहीं इसे पार्ट-1 (Part-1) और पार्ट-2 (Part-2) कहते हैं. पार्ट-ए या पार्ट-1 सैलरी पर टैक्स देना होता है. आमतौर पर 12 लाख की सैलरी पर पार्ट-बी या पार्ट-2 में दो लाख रुपये रखे जाते हैं. इस तरह आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 10 लाख रुपये रह गई है.
2. इसके बाद वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए 50,000 रुपये को स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर काट लें. इन्हें घटाने के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 9.50 लाख रुपये रह जाती है.
3. इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत आप 1.5 लाख रुपए तक की बचत का दावा कर सकते हैं. इसमें आप ट्यूशन फीस, एलआईसी (LIC), पीपीएफ (PPF), म्यूचुअल फंड (ELSS), ईपीएफ (EPF) या होम लोन प्रिंसिपल आदि क्लेम कर सकते हैं. अब आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 8 लाख रुपये रह गई है.
4. इनकम टैक्स के सेक्शन 24बी के तहत होम लोन के ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है. इस तरह यहां आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 6 लाख रुपये रह गई है.
5. इसके बाद टैक्सेबल इनकम जीरो (0) करने के लिए आपको 80CCD (1B) के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 50 हजार रुपये का निवेश करना होगा. यहां टैक्सेबल सैलरी घटकर 5.5 लाख रुपये सालाना रह गई है.
6. इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत आप बच्चों, पत्नी और माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम क्लेम कर सकते हैं. बच्चे और पत्नी के लिए 25,000 रुपये तक के प्रीमियम का दावा किया जा सकता है. यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो आप प्रीमियम के रूप में 50,000 रुपये का दावा कर सकते हैं. इन दोनों को घटाने के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 4.75 लाख रुपये रह जाती है.
आपको बता दें कि 2.5 लाख रुपये से 4.75 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी की दर से 11,250 रुपये का टैक्स बनता है. लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से 12,500 रुपये तक की टैक्स छूट है. इस तरह आपकी टैक्स देनदारी जीरो हो जाती है.
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सालाना है 12 लाख रुपये की सैलरी! फिर भी नहीं देना पड़ेगा टैक्स, जानें कैसे