डीएनए हिंदी: EMI बेस्ड पर्सनल लोन पर फ्लोटिंग-इंटरेस्ट रेट को रीसेट करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में नए नियम जारी किए हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों और एनबीएफसी सहित सभी रेगुलेटेड संस्थाओं (REs) को लोन मंजूर करते समय अपने कर्जदारों को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में कोई बदलाव होने पर उनकी ईएमआई, लोन की अवधि या दोनों पर क्या असर पड़ सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि ब्याज दरों में चलते ईएमआई, लोन अवधि या दोनों में बदलाव होने पर लोन लेने वालों को तुरंत उचित चैनलों से सूचना दी जाएगी.
नए नियम और लोन पॉलिसी को लेकर RBI ने क्या कहा?
आरबीआई ने कहा कि वित्तीय संस्थानों को अपनी पॉलिसी में स्पष्ट रूप से बताना होगा कि फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट की तरफ जाते समय क्या और कितना शुल्क लगेगा और लोन लेने वाला लोन अवधि के दौरान कितनी बार ऐसा कर सकता है. संस्थान लोन लेने वालों को ब्याज दरों को रीसेट करते समय उनकी बोर्ड-अप्रूव्ड नीति के अनुसार एक विशिष्ट दर पर बदलने का अधिकार देगा.
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क्या कहते हैं मौजूदा नियम?
वित्तीय संस्थान लोन लेने वालों को वर्तमान में ब्याज दर में बढ़ोतरी होने पर सिर्फ यह बताते हैं कि उनके लोन की अवधि या ईएमआई बढ़ा दी गई है. इस दौरान लोन लेने वालों के पास कोई चुनाव नहीं होता. हालांकि कोई व्यक्ति वित्तीय संस्थान से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके लोन कॉन्ट्रैक्ट को फिर से प्राप्त कर सकता है.
RBI ने क्यों जारी किए ये निर्देश?
हाल ही में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां एक व्यक्ति 45 साल का है और अगले 15 साल तक उनका लोन बकाया है. दरों में बढ़ोतरी के कारण, अवधि 20 साल तक बढ़ा दी गई है. ऐसे हालात में, वे 80 साल का होने के बाद भी लोन भरते रहेंगे, जबकि ज्यादातर लोग 60 साल की उम्र में ही रिटार्ड हो जाते हैं. यह भी संभव है कि EMI अभी भी इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी को कवर नहीं कर सकती जिससे लोन लेने वालों की स्थिति बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है. इस निर्देश से आरबीआई ऐसी कमियों को कंट्रोल करना चाहता है.
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कितने बेहतर हैं नए नियम?
नए नियम आने से पारदर्शिता बढ़ने का अनुमान है लेकिन इस समय ऊंची ब्याज दरें टाली नहीं जा सकती. फिक्स्ड रेट वाले लोन को फ्लोटिंग के बजाय चुनना भी कोई अच्छा विकल्प नहीं है क्योंकि दोनों की कीमतों में कम से कम 500 बेसिस पॉइंट्स का अंतर है.
आइए इसे ऐसे समझते हैं पिछले साल दिसंबर 2021 में, जब ब्याज दरें सबसे कम थीं, होम लोन पर फ्लोटिंग रेट 6.5 प्रतिशत से शुरू हुआ, जबकि फिक्स्ड रेट 11-12 प्रतिशत था. इसलिए, इस निर्देश को लाभदायक दरों को लॉक करने के लिए नहीं प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा, लोन को बंद करना एक मुश्किल और महंगा काम है. इसलिए, स्विच करने का निर्णय लेना लंबा और मुश्किल हो सकता है.
बेहतर विकल्प का चुनाव करें
व्यक्ति अधिक ईएमआई भुगतान कर सकता है ताकि लोन समय पर चुकाया जा सके यदि बकाया राशि और अवधि बहुत लंबी नहीं है. वहीं अगर व्यक्ति की मंथली सैलरी अच्छी खासी नहीं है तो उसके लिए लॉन्ग टर्म लोन पेमेंट प्लान का ऑप्शन चुनना बेहतर होगा.
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लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी, बैंकों को सीधा करेगा RBI, जानें नए नियम