डीएनए हिन्दी: GDP के पहली तिमाही के आंकड़े आ चुके हैं. GDP विकास दर, RBI और कई संस्थानों के अनुमान से कम रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत इस साल 7.2 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर पाएगा? आने वाले समय में भारत में ब्याज दरों के और बढ़ने का अंदेशा है. आइए इस मामले को हम विस्तार से समझते हैं.
भारत की स्थिति किन सेक्टर में बेहतर?
पहली तिमाही के आकड़ों पर अर्थशास्त्री डॉ. वृंदा जागीरदार का आकलन है कि मौजूदा आंकड़े निराशाजनक नहीं है. आगे की तिमाहियों में कॉन्टेक्ट इटेंसिव (Contact Intensive) सर्विस का प्रदर्शन और बेहतर होगा. ऐसे में 7.2 प्रतिशत का आंकड़ा हासिल करना मुश्किल नहीं है.
मौजूदा समय में कई वैश्विक चुनौतियां हैं मगर भारत की स्थिति दुनिया में कई मजबूत अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है. इस समय जो फैक्टर भारत के लिए काम कर रहे है उनके बारे में बताते हुए डॉ. वृंदा जागीरदार ने बताया है कि कॉरर्पोरेट बैलेंस शीट बेहतर हुई है. कई सालों के बाद बैंकों की बैलेंस शीट अच्छी हैं. फैक्टरियों का Capacity Utilisation 75% से ज्यादा है. ऐसे में कंपनियां अपनी फैक्टरियों को विस्तार दे रही हैं.
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दूसरा इसके अलावा Consumption में ग्रोथ देखी जा रही है. अब हम प्री कोविड स्तर पर पहुंच गए हैं. ऐसे में मांग (Demand) और निवेश (Investment) के चक्र के शुरू होने से विकास दर बढ़ेगी.
तीसरा, कैपिटल गुड्स (Capital Goods) सेक्टर में सालों के बाद 20 प्रतिशत से ज्यादा ग्रोथ आई है. ऐसे में आने वाली तिमाहियों में इसका फायदा मिलेगा.
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चौथा, कॉन्टेक्ट इटेंसिव सेक्टर पर कोविड की सबसे ज्यादा मार पड़ी थी. ये सेक्टर में तिमाही दर तिमाही सुधार देखने को मिला है. आगे आने वाले समय में यहां और बेहतर ग्रोथ देखने को मिलेगी.
कहां है चुनौतियां?
भारत के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है. अर्थशास्त्री डॉ. वृंदा जागीरदार ने बताया कि मैन्यूफैक्चरिंग (Manufacturing) और खनन (Mining) क्षेत्र का प्रदर्शन अभी संतोषजनक नहीं है. ये क्षेत्र कई तरह से उद्योगों के लिए कच्चा माल (Raw Material) और उत्पादों (Finished Goods) को तैयार करता है. ये अर्थव्यवस्था में Multiplier इफेक्ट पैदा करने के साथ साथ भारी संख्या में रोजगार भी पैदा करता है. इसके लिए इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए.
क्या ब्याज दरें और बढेंगी, अगर हां तो विकास दर का क्या होगा?
पूरी दुनिया में मंहगाई बढ़ी है. विकसित देशों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है. अमेरिकी सेंट्रल बैंक और बाकी प्रमुख केन्द्रीय बैंकों ने इसे काबू में लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई हैं. भारत में भी RBI अब तक ब्याज दरों में 1.4% की बढ़ोतरी कर चुका है. ऐसे में आगे अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो विकास दर पर असर पड़ सकता है.
वृंदा जागीरदार ने बताया कि भारत में महंगाई दर दुनिया से कम है, लेकिन अब भी RBI द्वारा दी गई 6 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा है. हालांकि, महंगाई दर में कमी आती जा रही है. ऐसे में ब्याज दरों में और इजाफा हो सकता है. लेकिन, ये बढ़ोतरी पश्चिमी देशों जैसी अग्रेसिव नहीं होगी. लेकिन, भारत में मंहगाई और विकास के बीच संतुलन साधना ही होगा.
दुनिया में विकास दर थमने से भारत पर क्या असर पड़ेगा?
IMF ने बताया है कि इस साल दुनिया की GDP विकास दर 3.2 प्रतिशत रहेगी. हालांकि IMF ने भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था. ऐसे में विदेशों की मांग कम होने पर हमारी निर्यात को नुकसान हो सकता है. ऐसे में भारत का विकास दर को कितना नुकसान पहुंचेगा?
डॉ. वृंदा जागीरदार ने बताया कि यकीनन निर्यात में भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन इस बीच हमने पाया है कि दुनिया में विकास दर गिरने के साथ साथ कमोडिटी की कीमतों में नरमी देखी जा रही है. क्रूड ऑयल की कीमत कम होने का भारत को राहत मिलेगी.
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क्या महंगाई, मंदी और ब्याज दरों से ठहर जाएगी भारत के विकास की रफ्तार?