डीएनए हिंदी: क्रिप्टोकरंसी को रोकने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) कानून लाने की तैयारी में है. इस तरह के कानून को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice D Y Chandrachud) और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान इस बेंच ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी (Cryptocurrency) को रोकने के लिए बनाए जा रहे कानून के संबंध में अदालत, सरकार को रोक नहीं सकती है.
इस बेंच ने एक निजी कंपनी की तरफ से दायर याचिका को 'गलत सोच वाला' बताते हुए खारिज कर दिया. इस याचिका में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सुझाव देने के लिए इंटर मिनिस्टीरियल समिति बनाने के फैसले को चुनौती दी गई थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की बेंच ने कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका के लिए कोई कारण नहीं है. न्यायालय सरकार को संसद के सामने एक विधायी प्रस्ताव लाने से नहीं रोक सकता है.'
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क्रिप्टोकरंसी को रोकने के लिए कानून लाने की तैयारी में है सरकार
कोर्ट की बेंच ने आगे कहा, 'यह किस तरह की अर्जी है. सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई है तो आपने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका दायर कर दी. आप प्रस्तावित कानून को चुनौती देना चाहते हैं.' याचिकाकर्ता कंपनी की तरफ से पेश हुए वकील प्रभात कुमार ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा नहीं माना था लेकिन अब सरकार इसके लिए एक कानून लाने की बात कह रही है.
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आपको बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा होती है जिसमें एन्क्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल इसकी इकाइयों के सृजन के लिए किया जाता है. यह केंद्रीय बैंक की निगरानी से परे फंड का ट्रांसफर और लेन-देन करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सरकार की कानून लाने की तैयारी एक संवैधानिक मामला है और इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी परिपत्र बाध्यकारी नहीं है.
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