डीएनए हिंदीः बढ़ती महंगाई के बीच दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में इजाफा किया गया है, जिससे भारत भी नहीं बचा है. जिसकी वजह से दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) में कमी आने की संभावना भी जताई जा रही है. हालांकि, भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) को किसी भी बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और विश्लेषकों को उम्मीद है कि यह बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेगा. भारत के बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी (Sensex And Nifty) पिछले साल के दशहरा से अब तक करीब 6 प्रतिशत से ज्यादा नीचे हैं. 2011 के बाद यह पहला मौका है जब दोनों इक्विटी सूचकांकों ने इतना नुकसान दर्ज किया है. इस साल दशहरा आज यानी 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इसी अवधि में विदेशी निवेशकों ने स्थानीय इक्विटी में करीब 27.78 अरब डॉलर की बिक्री की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3.17 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
क्यों देखने को मिली एक महीने में बड़ी गिरावट
बाजारों में गिरावट कमजोर वैश्विक संकेतों, रुपये में गिरावट और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा तेज बिकवाली के कारण थी, जो यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से लिक्विडिटी कम करने की पॉलिसी से शुरू हुई थी. वैश्विक स्तर पर भी, इक्विटी बाजारों ने इस साल बढ़ती कीमतों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे फेड द्वारा भारी नुकसान को बरकरार रखा है. इसके अलावा, रूस-यूक्रेन संघर्ष ने सप्लाई चेन के इश्यू को पैदा किया है जिसने हाई इंफ्लेशन में योगदान दिया है.
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12 साल पहली बार गिरावट
साल | बाजार रिटर्न |
2011 | -21.53 |
2012 | 18.47 |
2013 | 9.72 |
2014 | 29.42 |
2015 | 2.71 |
2016 | 2.91 |
2017 | 11.40 |
2018 | 11.18 |
2019 | 7.91 |
2020 | 8.40 |
2021 | 50.86 |
2022 | -5.58 |
आरबीआई इस साल पॉलिसी दरों में कर चुका है भारी इजाफा
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तीसरी बार अपनी नीतिगत दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की. जिसके बाद पॉलिसी दरें 5.90 फीसदी हो गई हैं. भारत ने इस साल पॉलिसी दरों में 1.90 फीसदी का इजाफा किया है. जिसके बाद देश के आम लोगों की ईएमआई में इजाफा हो गया है. इसके साथ ही कई ब्रोकरेज और रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास लक्ष्य को कम कर दिया है. हाल की नीति में, आरबीआई ने ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया.
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भारतीय शेयर बाजार के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
विश्लेषकों का मानना है कि इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, भारतीय बाजार वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेंगे क्योंकि देश ने व्यापक आर्थिक आंकड़ों में लगातार सुधार दिखाया है. स्वस्थ माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह, उम्मीद से बेहतर ऑटो बिक्री संख्या, ऋण वृद्धि में वृद्धि और सामान्य से अधिक मानसून सभी भारत को अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक आकर्षक बनाने में मदद करते हैं. इससे विदेशी निवेशकों की लगातार खरीदारी और कच्चे तेल और जिंस कीमतों में गिरावट के साथ धारणा में सुधार हुआ है.
पिछले दहशरा से अब तक किन सेक्टर्स में कैसा रहा प्रदर्शन
पिछले दशहरा और अब के बीच, बीएसई पावर, बीएसई कैपिटल गुड्स, बीएसई ऑटो और बीएसई एफएमसीजी सूचकांकों में 5 से 15 प्रतिशत के बीच वृद्धि हुई है, जबकि अन्य क्षेत्रीय सूचकांक लाल रंग में हैं. बीएसई रियल्टी और आईटी सूचकांक 21 प्रतिशत की गिरावट के साथ शीर्ष पर रहे, इसके बाद बीएसई मेटल और हेल्थकेयर में क्रमशः 15 प्रतिशत और 11 प्रतिशत की गिरावट आई. बीएसई एनर्जी, ऑयल एंड गैस, कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और बैंकेक्स जैसे अन्य सूचकांकों में 1-8 फीसदी की गिरावट आई. इस अवधि में बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप क्रमशः 7 फीसदी और 4.3 फीसदी गिरे.
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पिछले दहशरा से शेयर बाजार में 6 फीसदी तक की गिरावट, जानें कहां और कैसे हुआ नुकसान