डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) एक बड़ा कदम उठाते हुए कहा कि अब आयात और निर्यात का भुगतान (Payment of Import and Export) रुपये में किया जा सकेगा. इसके लिए नए मैकेनिज्म की शुरूआत कर दी गई हैं. आरबीआई (RBI) के अनुसार वह रुपये में इंटरनेशनल बिजनेस सेटलमेंट के लिए एक मैकेनिज्म स्थापित कर रहा है, जिसका उपयोग करने के लिए बैंकों को पहले से ही अप्रूवल लेना होगा.

आरबीआई ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है और मैकेनिज्म को "निर्यात पर जोर देने के साथ ग्लोबल ट्रेड के विकास को बढ़ावा देने" के लिए डिजाइन किया गया है. सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे की गिरावट के साथ 79.48 के नए लाइफ टाइम लो लेवल पर बंद हुआ, जो विदेशों में मजबूत ग्रीनबैक और घरेलू इक्विटी को कमजोर करता है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान को सीमित कर दिया. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत भारतीय रुपये में सीमा पार ट्रेड ट्रांजेक्शन के लिए व्यापक ढांचा नीचे दिया गया है:

चालान-प्रोसेस : इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात को रुपये (INR) में मूल्यवर्गित और चालान किया जा सकता है.

विनिमय दर: दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार निर्धारित हो सकती है.

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निपटान: इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का निपटान इस परिपत्र के पैरा 3 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भारतीय रुपये में होगा. इस मैकेनिज्म से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा, जिसे विदेशी विक्रेता/आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की सप्लाई के लिए चालान के खिलाफ भागीदार देश के संपर्क बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा. इस मैकेनिज्म के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के संपर्ककर्ता बैंक के नामित विशेष वोस्ट्रो खाते में शेष राशि से भारतीय रुपये में निर्यात आय का भुगतान किया जाएगा.

डॉक्युमेंटेशन : इस तरह से किए गए और तय किए गए निर्यात / आयात सामान्य डॉक्युमेंटेशन और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के अधीन होंगे. साख पत्र (एलसी) और अन्य व्यापार संबंधी डॉक्युमेंटेशन का निर्णय सहयोगी व्यापारिक देशों के बैंकों के बीच कस्टम और प्रैक्टिस फॉर डॉक्युमेंट्री  क्रेडिट (यूसीपीडीसी) और इनकोटर्म के समग्र ढांचे के तहत पारस्परिक रूप से किया जा सकता है. सुरक्षित और कुशल तरीके से संदेशों का आदान-प्रदान भागीदार देशों के बैंकों के बीच पारस्परिक रूप से सहमत हो सकता है.

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निर्यात के बदले एडवांस : भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से निर्यात के बदले भारतीय रुपये में एडवांस भुगतान प्राप्त कर सकते हैं. निर्यात के लिए एडवांस पेमेंट की ऐसी किसी भी प्राप्ति की अनुमति देने से पहले, भारतीय बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि इन खातों में उपलब्ध धनराशि का उपयोग पहले से निष्पादित निर्यात आदेशों / पाइपलाइन में निर्यात भुगतान से उत्पन्न भुगतान दायित्वों के लिए किया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि एडवांस केवल विदेशी आयातक के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है, भारतीय बैंक अपने कॉरेसपांडेंस बैंक के विशेष वोस्ट्रो अकाउंट को बनाए रखने के लिए, सामान्य सावधानी उपायों के अलावा, प्राप्त सलाह के साथ एडवांस जारी करने से पहले कॉरेसपांडेंस बैंक से निर्यातक के दावे को सत्यापित करेगा. 

बैंक गारंटी: इस व्यवस्था के माध्यम से किए गए व्यापार लेनदेन के लिए बैंक गारंटी जारी करने की अनुमति है, जो समय-समय पर संशोधित फेमा अधिसूचना संख्या 8 के प्रावधानों और गारंटी और को-एक्सेप्टेंस पर मास्टर निर्देश के प्रावधानों के अधीन है.

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अप्रूवल प्रोसेस : एक भागीदार देश का बैंक विशेष आईएनआर वोस्ट्रो अकाउंट खोलने के लिए भारत में एक एडी बैंक से संपर्क कर सकता है. एडी बैंक व्यवस्था के डिटेल के साथ रिजर्व बैंक से अप्रूवल मांगेगा. स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट रखने वाला एडी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि हाई रिस्क और नॉन कॉपरेटिव क्षेत्राधिकारों पर अपडेटिड एफएटीएफ सार्वजनिक वक्तव्य में कॉरेसपांडेंस बैंक किसी देश या अधिकार क्षेत्र से नहीं है, जिस पर एफएटीएफ ने काउंटर उपायों के लिए कहा है.

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RBI big announcement, now payment of import and export can be done in rupees
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RBI के इस ऐलान से डॉलर पर निर्भरता होगी कम, रुपये का दिखाई देगा दम
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RBI के इस ऐलान से  डॉलर पर निर्भरता होगी कम, रुपये का दिखाई देगा दम