डीएनए हिंदी: वॉरेन बफे (Warren Buffet) से लेकर राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) तक सभी कहते रहे हैं कि किसी भी स्टॉक में निवेश (Stock Investment) करने के बाद उसे लांग टर्म बने रहें. इसके पीछे की वजह सिर्फ यही नहीं है कि शेयर में लगातार इजाफा होने के साथ रिटर्न भी बढ़ता है. उसके पीछे और भी कई वजहें हैं. किसी भी शेयर में लंबे समय तक बने रहने से अंतरिम डिविडेंड, बोनस शेयर, शेयर बायबैक, स्टॉक स्प्लिट आदि जैसे कंपोनेंट का भी निवेशकों को काफी फायदा मिलता है. साथ ही निवेशकों के निवेश का रिटर्न (Return On Investment) भी बढ़ता है. टाइटन कंपनी का शेयर (Titan Share Price) एक ऐसा ही स्टॉक है जिसने अपने शेयरधारकों को शानदार रिटर्न दिया है और साथ ही साथ बोनस शेयरों और स्टॉक स्प्लिट का भी फायदा मिला है. टाइटन के शेयर उन मल्टीबैगर शेयरों (Multibagger Shares) में से एक हैं जिन्हें भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त रिटर्न दिया है.
टाइटन ने की थी बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट की घोषणा
पिछले 20 सालों में टाइटन के शेयर की कीमत 3 रुपये से बढ़कर 2,535 रुपये हो गई है, इस दौरान कंपनी ने 845 गुना का रिटर्न दिया है. इस शेयर के लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स ने सिर्फ इस शेयर की कीमत में बढ़ोतरी से ही कमाई नहीं की है. कंपनी ने इस अवधि में भी 10:1 स्टॉक स्प्लिट और 1:1 बोनस शेयर की घोषणा की है. हालांकि, एक निवेशक स्टॉक स्प्लिट से कमाई नहीं करता है, लेकिन स्टॉक स्प्लिट के कारण, इसके शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और इसकी इनपुट लागत कम हो जाती है. जैसा कि टाटा समूह के स्टॉक ने जून 2011 में 10:1 स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की, उन शेयरधारकों की इनपुट लागत जिन्होंने 20 साल पहले अगस्त 2002 में टाइटन के शेयर खरीदे थे, उनकी इनपुट लागत उनकी वास्तविक लागत के 10 फीसदी तक कम हो गई.
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कैसे मिला स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर का फायदा
टाटा ग्रुप की कंपनी ने जून 2011 में अपने शेयरधारकों के लिए 1:1 बोनस शेयरों की घोषणा की थी. इसलिए, बोनस शेयर जारी करने के कारण, 20 साल पहले टाइटन के शेयर खरीदने वाले शेयरधारकों की लागत मूल्य में 50 फीसदी की और गिरावट आई. चूंकि स्टॉक स्प्लिट ने पहले ही उनकी इनपुट लागत को वास्तविक लागत का 10 प्रतिशत कम कर दिया था. बोनस शेयर इश्यू ने उनकी लागत मूल्य को उनके वास्तविक खरीद स्तर के 5 फीसदी तक कम कर दिया. 10:1 स्टॉक स्प्लिट और 1:1 बोनस शेयरों की घोषणा के कारण, इंवेस्टर की प्रति शेयर वास्तविक लागत 3 रुपये से कम होकर 0.15 रुपये हो गई.
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एक लाख के 169 करोड़ कैसे बने
इसका मतलब यह हुआ कि 20 साल पुराने निवेशकों के लिए 3 रुपये का शेयर 0.15 रुपये का हो गया. जिसकी आज कीमत 2,535 रुपये प्रति शेयर हो गई है. इसका मतलब यह हुआ कि जो पिछले दो दशकों में कंपनी के निवेशकों 16,900 गुना का रिटर्न दिया. इसका मतलब है कि अगर किसी ने 20 साल पहले एक लाख रुपये का निवेश किया था तो उसकी वैल्यू 169 करोड़ रुपये हो गई है.
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