डीएनए हिंदीः शॉर्ट टर्म में घरेलू हाजिर बाजार में कॉटन का भाव (Cotton Price Today) 45,455 रुपये से 47,500 रुपये प्रति के दायरे में कारोबार करेगा. हालांकि कटाई की शुरुआत के साथ ही भाव धीरे-धीरे कम होने लग जाएगा और एक बार फिर भाव 40,000 रुपये के नीचे लुढ़क सकता है. उसके नीचे जाने पर भाव 35,000 रुपये प्रति गांठ के आस-पास पहुंच सकता है. जानकारों का कहना है कि निचले स्तर तक जाने के लिए भाव को 45,455 रुपये के नीचे गिरना होगा.
अगस्त में 8 फीसदी बढ़ा कॉटन का भाव
ओरिगो ई मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के मुताबिक आईसीई कॉटन में आई मजबूती के साथ ही देश में कपास उत्पादक इलाकों में भारी बारिश और कीड़ों की वजह से फसल खराब होने की खबरों के चलते भारतीय हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में 46,000 रुपये प्रति गांठ के ऊपर मजबूती देखने को मिली थी. उनका कहना है कि अगस्त में अभी तक कॉटन की कीमतों में करीब 8 फीसदी की तेजी आ चुकी है. तरुण तत्संगी का कहना है कि लगातार बारिश ने कपास की फसल पर नकारात्मक असर पड़ा है और ऐसा लग रहा है कि कॉटन की कीमतों ने इस साल देश में अनुमानित ज्यादा फसल के आंकड़े को नजरअंदाज कर दिया है.
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21 फीसदी बढ़ा आईसीई कॉटन दिसंबर वायदा
पिछले एक पखवाड़े में आईसीई कॉटन दिसंबर वायदा का भाव 21 फीसदी बढ़ चुका है और भाव ने पिछले हफ्ते की साप्ताहिक बंदी 116.01 सेंट प्रति पाउंड से पहले 8 हफ्ते की ऊंचाई 119.59 सेंट प्रति पाउंड को छू लिया था. तरुण तत्संगी कहते है कि अमेरिका में कपास की फसल और एंडिंग स्टॉक में तेज गिरावट की आशंका के चलते कीमतों में मजबूती देखने को मिली है. उनका कहना है कि सामान्तया कच्चे तेल में गिरावट और अमेरिकी डॉलर में मजबूती की वजह से कॉटन की कीमतों में गिरावट देखने को मिलती है. हालांकि अभी कच्चा तेल और अमेरिकी डॉलर का कॉटन के साथ यह संबंध टूटा हुआ दिखाई पड़ रहा है. उनका कहना है कि अमेरिकी डॉलर में जहां पहले कमजोरी देखने को मिली थी, वहीं बाद में मंदी के भय के चलते मजबूती देखने को मिल रही है.
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कपास का रकबा बढ़ा
तरुण तत्संगी के मुताबिक अमेरिका में कपास की फसल कमजोर रहने के साथ ही भारतीय फसल के आंकड़ों के बारे में अनिश्चितता की वजह से शॉर्ट टर्म में कॉटन की कीमतों में भारी उठापटक का माहौल रहेगा. घरेलू बाजार में इस महीने के आखिर तक या अगले महीने की शुरुआती 15 दिन के भीतर बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा लेकिन अमेरिका में कपास की फसल ऐतिहासिक स्तर पर कमजोर रहने से वैश्विक बाजार पर इसका निश्चित रूप से नकारात्मक असर पड़ेगा. ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले हफ्ते तक देशभर में कपास की बुआई 123.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की 116.2 लाख हेक्टेयर की तुलना में 6 फीसदी ज्यादा है.
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