डीएनए हिंदीः फरवरी में यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine-Russia War) शुरू होने के बाद से छूट पर रूसी कच्चे तेल का आयात (Russian Crude Oil Import) करके भारत को 35,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. वास्तव में युक्रेन और रूस के यूद्ध के दौरान रूस पर इंटरनेशनल प्रेशर बढ़ाने के लिए यूरोप और अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे. खासकर कच्चे तेल पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से रूस को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. जिसके बाद दुनिया के बड़े आयातकों को रूस ने छूट के साथ कच्चे तेल बेचने और करेंसी में राहत देने का ऑफर किया. जिसके बाद भारत ने यूरोन और अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया.  

अब रूस है भारत का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर 
देश चीन के बाद रूसी कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरा है. युद्ध से पहले 1 फीसदी से भी कम के मुकाबले रूसी तेल की देश की कुल तेल खरीद का 12 फीसदी हिस्सा है. जुलाई में, रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया था, जिसने सऊदी अरब को तीसरे स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया. हालांकि रियाद ने अगस्त में अपनी स्थिति वापस मजबूत किया और रूस भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया. 

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कितना खरीदा तेल 
कॉमर्स डिपार्टमेंट से मिले आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई के दौरान, रूस से भारत का कच्चा तेल आयात आठ गुना बढ़कर 11.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1.3 अरब डॉलर था. मार्च के बाद से, जब भारत ने रूस से आयात बढ़ाया है, आयात 12 अरब डॉलर से ऊपर हो गया है, जो पिछले साल 1.5 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक था. इनमें से करीब 7 अरब डॉलर का आयात जून और जुलाई में हुआ.

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दोगुना हो गया था आयात बिल 
भारत के लिए तेल की कीमतें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आयात के माध्यम से 83 फीसदी मांग को पूरा करता है, जो अर्थव्यवस्था को कमजोर बनाता है. देश का तेल आयात बिल 2021-22 में दोगुना होकर 119 बिलियन डॉलर हो गया था, जिससे सरकार के फाइनेंस पर बुरा असर पड़ा और महामारी के बाद आर्थिक सुधार पर असर पड़ा. इस महीने की शुरुआत में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सेमिनार में कहा था कि रूस से तेल आयात करना इंफ्लेशन मैनेज्मेंट पॉलिसी का हिस्सा था और अन्य देश भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे.

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सस्ते तेल के क्या होते हैं फायदे 
सस्ते तेल का इकोनॉमी के व्यापक आर्थिक मानकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वे आयात बिल को कम करके और डॉलर की मांग को कम करके लागत को कम रखते हैं, चालू खाता घाटे को नियंत्रित करते हैं. सामाजिक कल्याण और बुनियादी ढांचे के लिए पैसा छोड़कर सरकार का सब्सिडी बिल भी कम हो जाता है. यह दूसरी बार है जब वैश्विक तेल बाजार में सौदेबाजी ने भारत के पैसे को बचाया है. 2020 में, जब तेल की कीमतें क्रैश हो गईं थी, तब सरकार ने रणनीतिक भंडार को भर दिया और रिफाइनर ने जहाजों में तेल जमा कर 25,000 करोड़ रुपये बचाए थे. 

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India made a profit of Rs 35,000 crores by buying Russian Crude Oil
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Russian Crude Oil खरीदने से भारत की 'बल्ले-बल्ले', जानिए हुआ कितना फायदा
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Russian Crude Oil खरीदने से भारत की 'बल्ले-बल्ले', जानिए हुआ कितना फायदा