डीएनए हिंदी: परिवार की अहमियत हर कोई जानता है. परिवार में अक्सर लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं सिंगल पैरेंट की लाइफ कैसी होती है? आपको बता दें कि सिंगर पैरेंट के जीवन में काफी ज्यादा चुनौतियां भरी हुई होती है. सिंगल पैरेंट को अक्सर अपने बच्चों की परवरिश अकेले ही करनी पड़ती है. ऐसे में सिंगल पैरेंट्स के लिए आर्थिक तौर पर स्थिरता और मजबूती दोनों ही बेहद जरूरी हैं. सिंगल पैरेंट्स के ऊपर कई जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे कि भविष्य के खर्चों के लिए पैसे जमा करना, बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट प्लान करना. अकेले इतना सब कुछ करना काफी मुश्किल हो सकता है. हालांकि आज हम आपको कुछ ऐसे सुझाव देने वाले हैं जिनकी मदद से सिंगल पैरेंट अपने और बच्चे के जीवन को सिक्योर कर सकते हैं. अगर आपकी जानकारी में कोई ऐसे मित्र और रिश्तेदार हैं जो सिंगल पैरेंट हैं तो उन्हें भी आप ये सुझाव दे सकते हैं.
आज के समय में बहुत सारे बैंक और संस्थान सेविंग और इन्वेस्टमेंट प्लान लिए बाजार में घूम रहे हैं. ऐसे में कई लोग इस बात से कंफ्यूज हो जाते हैं कि वे कहां इन्वेस्ट करें कहां नहीं. अब आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. आपको बता दें कि आज के समय में म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट का सबसे बढ़िया जरिया है. आज कई सारे लोग म्युचुअल फंड में निवेश करके भी अपने आर्थिक लक्ष्यों (घर, बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की शादी) को पूरा कर रहे हैं. इन्वेस्टमेंट से पहले कुछ बातें हैं जिनको आपको ध्यान में रखना है.
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अपने फ्यूचल गोल को लेकर क्लीयर रहें
म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले ही आप तय कर लें कि आपके फ्यूचर गोल क्या हैं. आपको खुदका घर लेना है, बच्चों की पढ़ाई के लिए अधिक पैसा चाहिए, बिजनेस शुरू करने के लिए पैसा चाहिए, रिटायरमेंट प्लान करनी है या कुछ और सपने हैं. जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें तो ही आगे बढ़ें.
रिस्क लेने के लिए तैयार रहें
म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करने से आपको मिलने वाला रिटर्न सेविंग प्लान से मिलने वाले प्लान से काफी अधिक होता है. आप जो पैसा सेविंग प्लान में लगाते हैं बैंक आपसे उसी पैसे को मार्केट में लगाकर पैसा बनाता है और उसमें से थोड़ा सा पैसा आपको रिटायरमेंट पर देता हैं. वहीं म्युचुअल फंड में निवेश करने आपका पैसा बाजार में इन्वेस्ट होता है जहां ज्यादा अच्छे रिटर्न मिलते हैं. मसलन अगर आप हर महीने 8-9 हजार इन्वेस्ट करते हैं तो आपको मैच्योरिटी पर 1-2 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. अब जब रिटर्न हाई है तो ऐसे में थोड़ा रिस्क तो लेना पड़ेगा क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. इसलिए अपने लॉन्ग टर्म प्लान पर फोकस रखें क्योंकि शॉर्ट टर्म में ज्यादा पैसा नहीं बन पाता है.
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प्रोफेशनल की मदद लेना
अगर आपके लिए म्युचुअल फंड बिल्कुल (How To Invest in Mutual Funds) नया है या आपको निवेश करना नहीं आता तो ऐसे में आप उन लोगों से सलाह ले सकते हैं जिन्हें इनकी जानकारी है. आज के समय में बैंकों में भी इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट होते हैं आप चाहें तो अपने बैंक जाकर वहां भी म्युचुअल फंड को लेकर सलाह ले सकते हैं.
समय समय पर बैलेंस चेक करें
एक बार पैसे इन्वेस्ट (How To Invest in Mutual Funds) करने का ये अर्थ नहीं है कि आप दौबारा कभी अपने फंड की ओर देखें ही नहीं. आप समय-समय पर अपने फंड की परफॉर्मेंस का जायजा लेते रहें कि फंड की वेल्यू क्या है वो कैसे ग्रो कर रहा है. जरूरत पड़ने पर आप फंड स्विच भी कर सकते हैं. एक बार जब ये तय कर लें तो अपने लक्ष्य के आधार पर ही म्युचुअल फंड में निवेश करें.
लक्ष्य के आधार पर फंड का चयन
(i) Future Expenses and Financial Stability Funds
आर्थिक स्थिरता और भविष्य में होने वाले खर्चों के लिए अभी से सेविंग करने के लिए सिंगल पैरेंट्स इन म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं:
बैलेंस्ड फंड: बैलेंस्ड फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड होता है, जहां संतुलित रिटर्न प्रदान करने के लिए पूंजी एसेट के बीच आवंटित की जाती है. ये एसेट इक्विटी शेयर और डेब्ट मार्केट इंस्ट्रूमेंट हैं.
कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड: कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड ऐसे म्यूचुअल फंड्स होते हैं जो खासकर डेब्ट में निवेश करते हैं. इनके एसेट का 75 से 90% तक डेट में, जबकि बाकी हिस्सा यानी 10 से 25% शेयरों में निवेश किया जाता है
(ii) Children Education Fund
यदि आपको बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचाने हैं, तो इन लॉन्ग-टर्म इक्विटी फंड पर विचार कर सकते हैं. ये फंड लंबे समय के लिए किए जाने वाले निवेश पर फोकस रखते हैं.
(iii) Retirement Funds
रिटायरमेंट प्लान कर कर रहें हैं तो आप रिटायरमेंट फंड और इक्विटी फंड को अपना सकते हैं.
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