डीएनए हिंदीः पिछले वित्तवर्ष में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी और वैश्विक संकटों के बाद भी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा मिला था. अब गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने दावा किया है कि भारत इस उपलब्धि को खो सकता है. गोल्डमैन सैक्स ने अगले वित्तवर्ष में भारत की जीडीपी का अनुमान घटाकर 5.9 फीसदी कर दिया है.
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की अर्थव्यवस्था धीमी रह सकती है. हालांकि दूसरी छमाही में, विकास में फिर से तेजी आने की संभावना है क्योंकि वैश्विक स्तर पर हालात ठीक होंगे और इससे भारत के लिए स्थिति मजबूत रहेगी. फर्म को उम्मीद है कि खुदरा मुद्रास्फीति भी इस वर्ष अनुमानित 6.8 फीसदी के मुकाबले अगले साल 6.1 फीसदी तक कम हो जाएगी.
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बता दें कि मुद्रास्फीति पिछले दस महीनों से भारतीय रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के बैंड से ऊपर बनी हुई है. गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक जीडीपी डाटा उम्मीदों से काफी कम था. सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि गति घटकर तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर -3.3 फीसदी हो गई जबकि जनवरी-मार्च की अवधि में इसमें 0.5% की वृद्धि हुई थी. घरेलू मांग के मुख्य फैक्टर्स में उम्मीद के मुताबिक बावजूद गिरावट अनुमान से कहीं अधिक रही.
क्या है मूडीज का आकलन
मूडीज ने मई में इस साल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था. ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2022-23 के अपने अपडेट में, मूडीज ने कहा कि आरबीआई द्वारा घरेलू मुद्रास्फीति के दबाव को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए 2023 में एक सख्त नीतिगत रुख बनाए रखने की संभावना है.
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