डीएनए हिंदी: पिछले कुछ दिनों से NIFTY लगातार रिकॉर्ड उंचाईयों को छू रहा है. इसी बीच रेटिंग एजेसियों के साथ-साथ IMF जैसे वित्तीय संस्थानों ने भी भारत की GDP ग्रोथ के अनुमान में बदलाव किया है. कुल मिलाकर सभी ने GDP ग्रोथ के अनुमान में औसतन 0.5% की कमी की आशंका जताई है. दुनिया में अस्थिरता के माहौल के बीच FII भारत में भरोसा जता रहे हैं. इस साल नवंबर महीने में FII ने भारत में अपना 32,000 करोड़ से ज्यादा निवेश बढ़ा चुका है.
FII फिर लौटे ?
भारतीय शेयर बाजार में दुनिया भर के निवेशक जमकर निवेश करते रहे हैं. इन विदेशी संस्थागत निवेशकों को Foreign Institutional Investors (FII) के नाम से जाना जाता है.
इस साल अब तक भारतीय बाजारों में FII ने अपनी पूंजी निकाली ही है. कुल मिलाकर भारतीय शेयर बाजार से वो 1.36 लाख करोड़ रुपये वापस निकाल चुके हैं. घरेलु संस्थागत निवेशकों (Domestic Institutional Investors) की मजूबती के कारण भारतीय बाजार इस साल ज्यादा नहीं टूटे हैं.
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इन दोनों की रस्साकशी के कारण ही इस साल निवेशकों को पिछले कुछ सालों जैसा बंपर रिटर्न नहीं मिला है. लेकिन इस साल के अंत तक आते Nifty Index ने नई उंचाईया छू ली हैं. इस साल नवंबर के महीने में अब तक FII 32344 करोड़ का निवेश कर चुका है.
भारत के GDP विकास दर में मामूली कमी का अनुमान
शेयर बाजार में FII का निवेश, भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके विश्वास को दर्शाता है. हाल ही अलग-अलग वित्तीय संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों ने भारत के लिए GDP विकास दर के अनुमान में सुधार किया है. दुनिया भर में विकट परिस्थितियों के कारण भारत की विकास दर को भी औसतन 0.5% घटाया गया है.
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बावजूद इसके भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है. अलग-अलग संस्थाओं ने इस साल के लिए भारत GDP विकास दर को 6.5 % से 7 % के बीच आंका है. यहीं नहीं आगामी वित्त वर्ष 2024 में भी भारत का प्रदर्शन दुनिया में सबसे बेहतर होने का अनुमान लगाया गया है. दूसरी तरफ कोविड की मार और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप के देशों में हालात खराब हो गए हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भी मंदी के आने की आशंका जताई जा चुकी है.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में जीरो कोविड नीति के कारण जनता में भारी असंतोष देखने में मिल रहा है. चीन फिलहाल कोविड प्रबंधन और आर्थिक गतिविधियों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. जिस वजह से उसकी अर्थव्यवस्था को फिर से पुरानी रफ्तार पकड़ने में अभी समय लगेगा. ऐसे में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत, निवेशकों के लिए आकर्षक बनती जा रही है.
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