डीएनए हिंदी: सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार (Share Market) में बड़ी गिरावट देखने को मिली. बांबे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) स 1456.74 अकों की गिरावट के साथ 52,846.70 अंकों पर बंद हुआ, जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 1700 अंकों की गिरावट पर भी गया. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी (Nifty) 427.40 अंकों की गिरावट के साथ 15,774.40 अंकों पर बंद हुआ है. बीएसई का मार्केट कैप भी करीब 5.50 लाख करोड़ रुपये घटा है. इस नुकसान के पीछे विलेन सिर्फ विदेशी ही नहीं है. बल्कि घरेलू भी है. आइए आपको भी बताते हैं कि शेयर बाजार के 6 विलेन कौन से है जिनकी वजह से शेयर बाजार निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
1.40 साल के हाई पर अमेरिकी महंगाई
मई के महीने में अमेरिकी महंगाई 40 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत तक पहुंच गई और बाजार के अनुमानों को पीछे छोड़ दिया. रेड-हॉट महंगाई ने शुक्रवार, 10 जून को वॉल स्ट्रीट की बिकवाली को बढ़ा दिया, अमेरिकी इक्विटी वायदा बाजार में सोमवर की सुबह, 13 जून को भारी गिरावट देखने को मिली. जिसका असर भारतीय शेयर बाजारों में भी देखने को मिला.
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2. आक्रामक दर वृद्धि का डर
अमेरिका के नए महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि यूएस फेड 15 जून को अपने ऐलानों में ब्याज दरों को 75 आधार बिंदु का इजाफा कर सकती हैं. जिसका डर निवेशकों में साफ देखने को मिला. इसी वजह से दुनियाभर के बाजारों में भारी बिकवाली का माहौल देखने को मिला. विश्लेषकों को उम्मीद है कि यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और एशिया में कोविड -19 के नेतृत्व वाले लॉकडाउन के कारण आपूर्ति बाधाओं के कारण महंगाई का दबाव लंबे समय तक बना रहेगा.
3. अस्थिर कच्चे तेल की कीमतें
तेल ने तीसरे सीधे दिन के लिए नुकसान बढ़ाया क्योंकि निवेशकों को अमेरिकी महंगाई में वृद्धि और चीन में कोविड -19 मामलों में उछाल के कारण आगे लॉकडाउन की संभावना का मुकाबला करने के लिए यूएस फेड द्वारा और अधिक मौद्रिक कसने का अनुमान है. ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई क्रूड दोनों क्रमशः 1.4 प्रतिशत फिसलकर 120 डॉलर प्रति बैरल और 118 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे थे. चीन द्वारा कोविड -19 के 'क्रूर' प्रसार के कारण बीजिंग में बड़े पैमाने पर परीक्षण की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई.
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4. भारतीय महंगाई का डाटा
भारत सरकार सोमवार, 13 जून को मई महीने का खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी करेगा. रॉयटर्स के एक सर्वे के अनुसार, अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मई में 7.10 प्रतिशत गिर जाएगा, जो अप्रैल में 7.7 प्रतिशत था. उन्हें उम्मीद है कि मई का सीपीआई 6.7 फीसदी से 8.3 फीसदी के बीच रहेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा पिछले सप्ताह अपनी ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद, उन्हें उम्मीद है कि मुद्रास्फीति इस साल दिसंबर तक अपने 6 प्रतिशत ऊपरी सहिष्णुता बैंड से ऊपर रहेगी.
5. Dollar के मुकाबले रुपये में गिरावट
रुपये का फ्रीफॉल : डॉलर की मजबूत मांग, यूएस फेड द्वारा बढ़ती ब्याज दरों और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के डर से सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.15 के निचले स्तर पर आ गया. इसके अलावा, जून में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 30.6 करोड़ रुपये की गिरावट का असर भी घरेलू मुद्रा पर पड़ा.
6. FII एग्जिट मोड पर
इस बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा लगातार बिकवाली ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया. एफपीआई लगातार आठ महीने से शुद्ध बिकवाली कर रहे हैं, जून में अब तक 13,888 करोड़ रुपये की इक्विटी बेच चुके हैं. इसके साथ ही एफपीआई ने इस साल अब तक 1,81,043 रुपये के शेयर बेचे हैं.
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Share Market के 6 विलेन, जिनकी वजह से निवेशकों को हुआ नुकसान