डीएनए हिंदी: भले ही मदर डेयरी ने अपने खाने के तेल (Edible Oil) में 15 रुपये तक की कमी कर दी हो, लेकिन आने वाले दिनों में इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. जानकारों मानें तो इंदौर में सोयाबीन की कीमत (Soyabean Oil) 4 महीने के निचले स्तर है और इसमें लगातार गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि खाने के तेल में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. एक्सपर्ट के अनुसार क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल (Sunflower Oil) पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन की कमजोर मांग के अलावा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में कमजोरी ने भी सोयाबीन के प्राइस सेंटिमेंट को प्रभावित किया है.
बनी रहेगी मंदी
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी के मुताबिकसोयाबीन में फिलहाल मंदी का रुझान बना रहेगा. इंदौर में सोयाबीन का भाव अभी 6,625 रुपये के आस-पास कारोबार कर रहा है. उनका कहना है कि सोयाबीन के भाव में यहां से गिरावट आ सकती है और भाव पहले महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल 6,500 रुपये और फिर उसके टूटने पर 6,000 रुपये-6,200 रुपये के निचले स्तर तक आ सकता है. उनका कहना है कि सोयाबीन की कीमतों में तेजी का रुझान तभी बनेगा, जब भाव 7,310 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर टिकना शुरू हो जाएगा. हालांकि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह कठिन दिखाई पड़ रहा है. उनके अनुसार इंदौर में रिफाइंड सोया तेल का भाव फिलहाल 1,550 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के आस-पास कारोबार कर रहा है. हालांकि मंगलवार को रिफाइंड सोया तेल का भाव ढाई महीने के निचले स्तर 1,538 रुपये तक लुढ़क गया था. उनका कहना है कि रिफाइंड सोया तेल की कीमतों में सीमित दायरे से लेकर कमजोरी के रुझान के साथ कारोबार की संभावना है और शॉर्ट टर्म में रिफाइंड सोया तेल में 1,538-1,500 रुपये का स्तर दिखाई पड़ सकता है. सरसों तेल और सीपीओ की तुलना में सोयाबीन के भाव में असमानता होने से सोयाबीन तेल की मांग कमजोर रहेगी.
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देश में सोयाबीन की क्या है स्थिति
एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के अनुसार किसानों ने चालू खरीफ सीजन में गुरुवार तक 21,200 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की है, जो कि एक साल पहले के मुकाबले 76 फीसदी कम है. देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुआई पिछले साल की तुलना में 99 फीसदी घटकर 700 हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश में अभी बुआई की शुरू होनी है. आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में रकबा 72 फीसदी की गिरावट के साथ 8,900 हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जबकि नागालैंड में यह सालाना आधार पर 59 फीसदी बढ़कर 9,200 हेक्टेयर हो गया है.
विदेशी बाजारों में दिख रहा है दबाव
विदेशी बाजार में पुरानी फसल-सोयाबीन सीबीओटी जुलाई वायदा को देखें तो हाल के मूल्य व्यवहार से एक बात स्पष्ट है कि 17.44 डॉलर की चीन की दीवार जैसी मजबूत स्तर को तोड़ने में कई तरह की कठिनाइयां हैं क्योंकि भाव ने 31 मई को और फिर 9 जून को तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन भाव इसके ऊपर टिक नहीं सका था. यहां तक कि 9 जून को भाव 17.84 के एक नई मासिक अनुबंध की ऊंचाई पर पहुंच गया था, लेकिन ऊपरी स्तर से भाव में चाकू की तरह गिरावट दर्ज की गई थी. तरुण सत्संगी का कहना है सोयाबीन सीबीओटी जुलाई वायदा का भाव जब तक 15.60-17.45 डॉलर की रेंज में कारोबार कर रहा है तब तक भाव को नई तेजी के लिए 17.45 के ऊपर टिकना होगा. वहीं असफल होने पर भाव 16.20/15.70 डॉलर की ओर वापस फिसल सकता है.
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सरकार ने सीमा शुल्क को किया खत्म
सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च 2024 तक खत्म कर दिया है. वित्त मंत्रालय की ओर जारी अधिसूचना के अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा. इस निर्णय के साथ 5 फीसदी प्रभावी सीमा शुल्क और उपकर को शून्य कर दिया जाएगा और वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में कुल 80 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सूरजमुखी तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जाएगी. निर्यात प्रतिबंध हटाने के इंडोनेशिया के हाल के फैसले के साथ ही केंद्र सरकार के ताजा फैसले से इस महीने शॉर्ट टर्म करेक्शन के मोड में चल रहे खाद्य तेलों की कीमतों में और कुछ नरमी आएगी.
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