डीएनए हिंदीः अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के डूबने की खबर ने पूरी दुनिाय में सनसनी फैला दी है. एक अमेरिकी बैंक के डूबने के कारण के बारे में जानने की सभी लोगों को दिलचस्पी है. इससे इनवेस्टर्स के बीच डर का माहौल पैदा हो गया है और लोग बैंकों में डिपॉजिट रखने में भी डर रहे हैं. इसके साथ ही लोग छोटे बैंकों से पैसा निकाल कर उसे बड़े बैंक में जमा कर रहे हैं. आलम यह है कि अब इसका असर यूरोप में भी दिखने लगा है और इसके कारण स्विट्जरलैंड के बड़े बैंक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) के शेयरों में गुरुवार को भारी गिरावट दर्ज की गई है.
सिलिकॉन वैली बैंक के इस तरह से बंद होने के ऐलान से कई लोग 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस को याद कर रहे हैं. 2008 में कुल 25 बैंक डूबे थे और यह अमेरिका के आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग संकट था. वहीं 2009 में 140 और वर्ष 2010 में सबसे अधिक 157 बैंक डूबे थे और यह सिलसिला काफी सालों तक चला. आपको बता दें कि अमेरिका ने साल 2001 से बैंकों के रिकॉर्ड रखने की शुरुआत की और तबसे 560 बैंक दिवालिया हो चुके हैं.
23 सालों में डूबे ये बैंक
साल 2001 की बात करें तो उस साल 4, 2002 में 10 और 2003 और 2004 में तीन-तीन बैंक डूबे थे. इसके बाद 2007 में तीन और 2008 में 25 बैंक डूबे थे. डूबने वाले बैंकों में वॉशिंगटन म्यूचुल (Washington Mutual) और Indymac का नाम भी शामिल था जिनकी एसेट क्रमशः 307 अरब डॉलर और 32 अरब डॉलर था. 2009 में 140, 2010 में रेकॉर्ड 157, 2011 में 92, 2012 में 51 और 2013 में 24 बैंक डूबे थे. वहीं 2014 में यह आंकड़ा 17 बैंकों का रहा है. इसके बाद हर साल डूबने वाले बैंकों की संख्या सिंगल डिजिट में रही. लेकिन अब सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने की खबर ने लोगों को चौंका दिया है और इसके कारण काफी बवाल हो रहा है.
आखिर क्यूं हो रहा है इतना हंगामा
रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल अमेरिकी बैंकों को 620 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. लोगों का कहना है कि अमेरिकी फेड रिजर्व (US Fed Reserve) महंगाई को कंट्रोल करने के लिए जिस तरह से ब्याज में बढ़ोतरी कर रहा है इससे और भी बैंक डूब सकते हैं. अगर सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) की बात की जाए तो इन दोनों बैंकों का कम्बाइंड एसेट 319 अरब डॉलर का है जो अपने आप में काफी बड़ा है. 2008 में आए सबसे बड़े कैंकिंग संकट के दौरान 25 बैंक डूबे थे और उनका कम्बाइंज एसेट 374 अरब डॉलर था. ऐसे में अगर 2008 से इसकी तुलना की जाए तो यह काफी भयावह है. इसके अलावा फर्स्ट रिपब्लिक बैंक (First Republic Bank) पर भी दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. जानकारों की मानें तो इस तरह से बैंकों के बंद होने से इकॉनमी में कैश फ्लो रुक जाएगा और मंदी की आशंका बढ़ेगी जिसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल सकता है.
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