दो जून की रोटी के लिए वह अनेक घरों में आया बनकर रही. रेस्तराओं में वेट्रेस बनी और रोम के प्रसिद्ध नाइट क्लब में बार-टेंडर थी. जीवन कठिन था. जब वह फकत एक साल की थी, पिता घर छोड़कर चले गए थे. वह सार्डीनिया से थे. पेशे से कर-सलाहकार और मां सिसली से थी. उन्हें 17 साल बाद मादक पदार्थों के धंधे के कारण सजा हुई और सन् 1995 में नौ साल के लिए स्पेनी-कारावास में कैद हुईं. इस बीच उसे तरह-तरह के पापड़ बेलने पड़े, लेकिन 15 साल की उम्र में वह पॉलीटिक्स से जुड़ी तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नतीजतन आज वह इटली की निर्वाचित प्रधानमंत्री हैं.
इतालवी इतिहास में पहली महिला प्रधानमंत्री. खामोशी या तटस्थता उसे पसन्द नहीं, न ही उसे अपनी पसंद या नापसंद को छुपाना पसन्द है.
जी हां, यह महिला कोई और नहीं, दो जुम्मा पहले इटली की प्रधानमंत्री बनी तुर्शजुबां सुदर्शना नेत्री जॉर्जिया मेलोनी हैं. 1.63 मीटर कद की जार्जिया 15 जनवरी, सन् 1977 को रोम में जनमी थीं. टीवी चैनेल में कार्यरत पत्रकार सहचर आंद्रेया गियमब्रूनो से उन्हें एक बेटी है-जिनेव्रा.
जोहानेस केपलर: ‘एस्ट्रॉनोमिया नोवा’ का जनक
सन् 2019 में रोम में एक रैली में अपने चर्चित भाषण में उन्होंने कहा- 'मैं जोर्जिया हूं. मैं स्त्री हूं. मैं एक मां हूं. मैं इतालवी हूं. मैं ईसाई हूं.'
कैथलिक आदर्शों में निष्ठा के बावजूद वह बिनब्याह 'मातृत्व' का बचाव करती हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पुत्री के पिता आंद्रेया से शादी नहीं की है. विचारों से वह नवफासीवादी हैं, मुसलमानों और आव्रजन की विरोधी. आव्रजन की इस कदर विरोधी कि उसे रोकने के लिए वह समुद्री बाड़ या अवरोध की पैरवी करती हैं.
हाल के चुनाव प्रचार में पुराना फासीवादी इतालवी नारा- 'ईश्वर, पितृभूमि और परिवार' उनकी जुबान पर था. वह इस्लामोफोबिया से ग्रस्त हैं और गर्भपात तथा समलैंगिक विवाह की विरोधी. गैर-ईसाई आव्रजन उन्हें नापसंद है. सांस्कृतिक बहुलता में उनका यकीन नहीं है और उनकी बातें बरबस मुसोलिनी के फासीवाद की याद दिलाती हैं. वह पहलेपहल सुर्खियों में तब आई थीं, जब 19 वर्ष की आयु में उन्होंने फासिस्ट तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की शान में कसीदे काढ़े थे.
45 वर्षीया मेलोनी ने सफलता के सोपान बहुत तेजी से चढ़े हैं. मेलोनी ने वक्त के तकाजों को न सिर्फ बूझा, वरन तत्काल निर्णय लिए. सन् 1992 में वह इटैलियन सोशलिस्ट मूवमेंट के यूथ फ्रंट से जुड़ीं. तदंतर नेशनल एलायंस से जुड़कर 25 वर्ष की वय में वह उसकी अध्यक्ष हो गई. सन् 1998 से 2002 के मध्य रोम की कौंसिलर रहने के बाद सन् 2006 में वह चैंबर ऑफ डिपुटीज की सदस्य रहीं.
ईरान ने भी दी ब्रिक्स के लिए अर्जी, क्या हैं इसके मायने और क्या होगा असर
वर्लुस्कोनी के प्रधानमंत्रित्वकाल में सन् 2008-11 में वह मिनिस्टर ऑफ यूथ रहीं. इतालवी प्रतिनिधि सभा में प्रवेश के लिए उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र बारंबार बदले. कभी लाजियो (2006-08 और 2008-13), कभी लोइबार्डी (2013-18) कभी लटीना (2018-22) तो कभी लाक्विला (2022). सन् 2012 में ब्रदर्स ऑफ इटली की वह सहसंस्थापक रहीं और सन् 2014 में योरोपीय यूनियन और सन् 2016 में रोम म्यून्सिपल और फिर आम चुनाव में उतरीं. इस पूरे दौर में सफलता उनकी चेरी बनकर उभरी. इसी जद्दोजहद की ताजा कड़ी है 22 अक्टूबर को उनका इटली का प्रधानमंत्री बनना.
Linus Carl Pauling: विज्ञान और शांति का नोबेल-विजेता
मेलोनी उत्साही और प्रत्युत्पन्नमति नेत्री हैं. वह कैथलिक क्रिश्चियन हैं और अनुदार भी. योरोपीय यूनियन से उनका गाढ़ा अनुराग है और पीएम बनने पर सबसे पहले वह उसी की नेताओं से मिली. गत वर्ष तक वह रूस से घनिष्ठ संबंधों की हिमायत थी, लेकिन रूस की यूक्रेन से जंग ने उनकी मन:स्थिति बदल दी. नाटो-समर्थक मेलोनी इस जंग में यूक्रेन के साथ है और मानती हैं कि यूक्रेन को हर तरह की मदद दी जाए.
(डॉ. सुधीर सक्सेना लेखक, पत्रकार और कवि हैं. 'माया' और 'दुनिया इन दिनों' के संपादक रह चुके हैं.)
(यहां दिए गए विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
इटली: नव-फासीवाद मार्फत जॉर्जिया मेलोनी