Shraddha Walker Murdered Case: श्रद्धा वलकर की नृशंस हत्या के छह महीने बाद अब कई तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं. इस हत्या की कहानी किसी भी इंसान को सन्न कर देने वाली है. पिछले चार साल से श्रद्धा अपने लिव-इन पार्टनर आफताब (Aftab Amin Poonawalla) के साथ रह रही थी. उसके दोस्तों ने उन दोनों के बीच रिश्ते की सच्चाई के बारे में बताया कि श्रद्धा का पार्टनर आफताब उसे अक्सर पीटता था. यह भी बताया जा रहा है कि श्रद्धा की हत्या के बाद आफताब डेटिंग ऐप (Dating App) के जरिए कई लड़कियों को उसी किराए के घर पर बुलाता रहा. यही वह घर था जहां श्रद्धा की हत्या की गई और उसके टुकड़े- टुकड़े किए गए. श्रद्धा के मर्डर के छह महीने बाद अब इस राज से पर्दा उठा है. हैरानी की बात है कि पड़ोस में रहने वालों को यह जानने की जरूरत नहीं महसूस हुई कि दो लोग उनके पड़ोस में एक साथ रहते थे और अचानक एक दिन वह लड़की गायब हो गई जो उसकी पार्टनर थी. अब उसी फ्लैट में उसकी जगह नई-नई लड़कियां आती रहीं. किसी ने भी इन घटनाओं को शक की निगाह से नहीं देखा? किसी ने पुलिस को इस बारे में इत्तला नहीं किया? मां-बाप और घर के अन्य सदस्यों ने चार सालों में पहले मुम्बई में अलग और उसके बाद दिल्ली शिफ्ट हुई अपनी बेटी की खैर खबर नहीं ली? इस दौरान उन्हें कोई शक शुबहा नहीं हुआ. उन्होंने श्रद्धा की कोई खोज-खबर नहीं ली? सवाल यह भी उठता है कि अगर आपकी लड़की आपके खिलाफ जाकर किसी लड़के से प्यार करती हैं तो क्या उसे उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए?
बेटियों को सह लेने की सीख क्यों देना?
हम लड़के पैदा करने के लिए हर टोना टोटका आजमाते हैं और इस चक्कर में पड़कर लड़कियों को मार देते हैं. कोख में लड़कियों को मारने (Killing female foetus) का रिवाज रहा है. लड़कियों के पैदा होते ही घर में मुर्दा उदासी छा जाने से लेकर हम उसे खिलौने देने में भेद करने से लेकर कितने स्तरों पर मारने के आदी हो चले हैं. किसी परिवार में तीन, चार और छह लड़की होने के बाद भी लड़का पैदा करने के लिए औरतें गर्भवती कराई जाती हैं तब क्या पहले पैदा हो चुकी लड़कियों को हम जिंदा ही नहीं मार रहे होते हैं? दहेज के लिए पीटी जा रही बेटियों के मायके कॉल करने पर जब उसे बाप, मां और भाई से सह लेने की सीख दी जा रही होती है तब क्या हम उसकी आत्महत्या का मसौदा नहीं लिख रहे होते हैं?
बेटियों के लिए घर को हम पिंजड़ा बना देते हैं
कॉलेज में पढ़ रही लड़कियों के देर से लौटने पर बाप या बड़े भाई के उसकी पढ़ाई छुड़वाने की धमकी मिलती है तब भी हम उसे मार ही रहे होते हैं. हम उसका पढ़ने और लाइब्रेरी में समय बिताने का मौका मुहैया कराने की बजाय उसके घर के दरवाजे यानी पिंजड़े में जल्दी लौटने की बात करते हैं. अगर घर के बाहर औरतों का जिस्म नोंचने वाले खूनी भेड़िए हैं तो वो कौन हैं? क्या हम अपने घरों में रहने वाले उन खूनी भेड़ियों की पहचान करने में अपना दिमाग खर्च करते हैं? क्या हम उनके बढ़ रहे नाखून और दांत काटने की बात करते हैं? आपको इसका जवाब ना में ही मिलेगा.
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Shraddha Murder Case: ... श्रद्धा मरती रहेगी और हम उसे सहने की सलाहियत देते रहेंगे