डीएनए हिंदी: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में मंगलवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी ने संयुक्त रैली की. सपा और रालोद की इस रैली में बड़ी संख्या में लोग जुटे, जिससे दोनों ही दल उत्साहित हैं. लेकिन क्या इस रैली में जुटी भीड़ सपा और रालोद के गठबंधन को वोट दिला पाएगी, ये देखने वाली बात होगी. दोनों दलों के नेता इस बात के दावे कर रहे हैं कि पश्चिमी यूपी में इस बार न सिर्फ किसान आंदोलन असर दिखाई देगा बल्कि जाट और मुस्लिम वोटर भी एकसाथ आकर भाजपा के विरोध में उनके लिए ही वोट करेगा.
पश्चिमी यूपी की जाट बेल्ट में इस बात पर सभी की नजर होगी कि क्या मुजफ्फरनगर दंगों के बाद क्या जाट पहले की तरह एक मुश्त रालोद के साथ जाएंगे या फिर दोनों समुदायों के बीच टीस देखने को मिलेगी. उत्तर प्रदेश में बसपा भी एक बड़ी ताकत है, जिसे पश्चिमी यूपी में भी नजर अंदाज करना गलत होगा. पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर मायावती का 'हाथी' अपने कोर दलित वोट के साथ एकमुश्त मुस्लिम वोट मिलने पर मदमस्त चाल चलता दिखाई देता है. ऐसे में यूपी की राजनीति को करीब से देखने वालों के लिए भी ये कहना बेहद मुश्किल है कि मुस्लिम वोट पूरी तरह सपा और रालोद गठबंधन का साथ ही देगा.
अखिलेश और जयंत की रैली में उमड़ी भीड़ से उत्साहित सपा और रालोद के नेता दावा कर रहे हैं कि इसका असर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिखाई देगा. हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश और जयंत का गठबंधन कामयाब होता है या नहीं, इसके लिए मेरठ से सटे इलाकों के साथ-साथ पश्चिमी यूपी के कुल 11 जिलों के चुनाव परिणाम बताएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की तस्वीर बिलकुल ही बदली गई. बात अगर मेरठ जिले की करें तो यहां कुल 6 विधानसभा सीटें हैं- हस्तिनापुर, किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण और सिवालखास. इन 6 सीटों में से 5 पर भाजपा के उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया था, सिर्फ मेरठ विधानसभा सीट पर सपा के रफीक अंसारी को जीत मिली थी.
बात अगर आसपास के और जिलों की करें तो सहारनपुर जिले की सात सीटों में से 5 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. यहां करीब 50 फीसदी मुस्लिम वोटर होने के बाद भी सपा और कांग्रेस के हाथ 1-1 सीट लगी थीं. दोनों दल गठबंधन में चुनाव लड़े थे. मेरठ से सटे मुजफ्फरनगर में सभी 6 सीटों पर भी भाजपा ने कब्जा किया था. यहां भी सभी विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 1 लाख से ज्यादा है. लोकसभा चुनाव 2019 में सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन के बावजद जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह चुनाव हार गए थे. शामली जिले में सिर्फ कैराना विधानसभा सीटों पर सपा के नाहिद हसन को जीत मिली थी, जबकि दो अन्य सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था.
बिजनौर जिले की 8 सीटों बिजनौर, चांदपुर, नगीना, नजीबाबाद, धामपुर, नुरपुर, नहटौर, बरहापुर में से सपा को सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. यहां नजीबाबाद विधानसभा सीट पर तस्लीम अहमद और नगीना से मनोज कुमार पारस जीते थे. गौर करने वाली बात ये है कि सभी सीटों पर रालोद प्रत्याशियों की हालत बेहद खराब रही थी. इसी तरह अमरोहा जिले की 5 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 1 पर सपा को जीत मिली थी, जबकि 4 अन्य पर भाजपा का कब्जा हो गया था. बुलंदशहर जिले में तो भाजपा ने सभी पार्टियों का सफाया करते हुए सभी सातों सीटों पर कब्जा कर लिया था. गाजियाबाद में भी भाजपा की लहर में सभी पार्टियां उड़ गई थीं.
पश्चिमी यूपी के जिन जिलों में सपा को पिछले चुनाव में सफलता मिली थी, उनमें मुरादाबाद शामिल है. मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी को 6 में से चार सीटों पर सफलता मिली थी, अन्य दो सीटों पर भाजपा ने विजय दर्ज की थी. मुरादाबाद में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 50 फीसदी है. मुरादाबाद के अलावा संभल की तीन सीटों में से दो सीटों पर भी सपा को जीत हासिल हुई थी. यहां की चंदौसी विधानसभा सीट पर भाजपा की गुलाबो देवी ने जीत दर्ज की थी, अन्य दो सीटों असमोली और संभल से सपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. यहां रालोद प्रत्याशियों का प्रदर्शन काफी खराब रहा.
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