डीएनए हिंदी: कहते हैं राजनीतिक गलियारों में दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुरता है. लेकिन शायद यह रास्ता तय करने के लिए अभी अरविंद केजरीवल की आम आदमी पार्टी की किस्मत में बहुत लंबा संघर्ष लिखा है.
आम आदमी पार्टी ने भले ही पंजाब विधानसभा चुनावों में बंपर जीत दर्ज की हो. गोवा में भी दो विधायकों के साथ उसका खाता खुल गया हो लेकिन देश की सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य में जनता ने AAP को स्पष्ट रूप से नाकार दिया.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में AAP का वोट प्रतिशत 0.38% रहा. इससे ज्यादा उत्तर प्रदेश के लोगों ने नोटा का बटन दबाया. राज्य में 0.69% लोगों ने नोटा का बटन दबाकर सभी प्रत्याशियों को नाकार दिया.
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पार्टी की ख़राब परफॉर्मेंस पर AAP की उत्तर प्रदेश इकाई ने एक ट्वीट में उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के हवाले से कहा कि 'यूपी का चुनाव आम आदमी पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराने, आम आदमी पार्टी के विचार को लोगों तक पहुंचाने और अरविंद केजरीवाल जी की नीतियों को हर गांव शहर तक पहुंचाने को लेकर था. हमें बिना रुके या थके चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना होगा.'
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उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में AAP के उमीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई है. गोविंदनगर, किदवई नगर, आर्यनगर के प्रत्याशी ही नोटा से आगे निकल पाएं हैं. यही नहीं, कई क्षेत्रीय दल व निर्दलीय भी नोटा से ज्यादा वोट हासिल करने में नाकाम रहे. सीसामऊ, बिठूर, महाराजपुर, घाटमपुर, कैंट, कल्याणपुर और बिल्हौर में AAP का कोई भी प्रत्याशी नोटा से ज्यादा वोट नहीं पा सका.
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आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने AAP पर निशाना साधते हुए कहा, "यह हास्यास्पद है कि जिस आम आदमी पार्टी को यूपी में नोटा से कम वोट मिला, जिस आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में 70 में से 55 सीटों पर जमानत जब्त हुई और गोवा में सिर्फ 6% वोट मिला, उस पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल देश के प्रधानसेवक पर कटाक्ष कर रहे हैं".
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आम आदमी पार्टी भले ही 2013 से उत्तर प्रदेश से सटे केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की सत्ता में काबिज़ है लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश उनसे बहुत दूर दिखाई पड़ता है. यूपी की जनता आजतक आम आदमी पार्टी पर अपना भरोसा जता पाई है, निश्चित ही अभी उसे उत्तर प्रदेश के लोगों के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए लंबा सफर करना होगा.
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