पंजाब की राजनीति में कभी शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) को कल्ट का दर्जा मिला हुआ है. केवल तीन सीटें जीतने के बाद प्रकाश सिंह बादल वाला शिरोमणि अकाली दल इस वक़्त अस्तित्व के भीषण संकट से गुज़र रहा है, इसे देखते हुए शीर्ष सिख गुरुओं ने दखल देने की कोशिश की है और छोटे-छोटे हिस्सों में बंटे अकाली दलों को अकाल तख़्त के संरक्षण में आने का निर्देश दिया है. कई विरोधी अकाली दलों ने शिरोमणि अकाली दल(Shiromani Akali Dal) की बादल परिवार से मुक्ति की मांग भी की है. 
शिरोमणि अकाली दल ने 2012 के विधानसभा चुनाव में 56 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था जो 2017 में घटकर 15 हो गई थी. इस बार यह संख्या न्यूनतम 3 पर पहुंच गई है, यहां तक कि पार्टी के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को भी हार का चेहरा देखना पड़ा है. 

Punjab Assembly Election : पारम्परिक पार्टियों से 'आम आदमी' का मोहभंग क्यों हुआ

अकाल तख्त के तत्वाधान में शिरोमणि अकाली दल के पुनरुत्थान की बात 
अकाल तख़्त के कार्यकारी जत्थेदार गियानी हरप्रीत सिंह ने सिख नेताओं को चौंकाते हुए इस पर बयान दिया है कि शिरोमणि अकाली दल का ख़त्म होना न केवल सिखों ने लिए समस्याप्रद है बल्कि इसका असर पूरे देश पर पड़ेगा.  भारत की आज़ादी में सिखों के संघर्ष का हवाला देते हुए उन्होंने सारे अकाली दलों से मन-मुटाव ख़त्म करने की बात करते हुए कहा कि, "वक़्त आ गया है कि सभ अकाली दल अकाल तख़्त के तत्वाधान में साथ आकर शिरोमणि अकाली दल का पुनरुत्थान करें.  यह केवल एक राजनैतिक पार्टी नहीं है. यह एक विचार है जिसका ज़िंदा रहना ज़रूरी है."
एक प्रमुख अकाली दल शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के नेता परमजीत सिंह सरना ने सिख संगठन और सिख बौद्धिक वर्ग की एक मीटिंग बुलाई है ताकि आम आदमी पार्टी के हाथों हुई क़रारी हार के कारणों पर बात की जा सके. उन्होंने कहा कि हमलोग अकाल तख़्त के जत्थेदार को भी आमंत्रित करेंगे ताकि वे हमारा नेतृत्व कर सके. शिरोमणि अकाली दल(Shiromani Akali Dal) की ख़ातिर उन्हें निष्पक्ष रहना होगा. 
 परमजीत सिंह सरना  ने बताया कि 10 मार्च को पंजाब विधान सभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से वे कई सिख संगठन, सिखों के धार्मिक नेता, बुद्धिजीवी, उद्योगपति, व्यापारी इत्यादि के साथ संपर्क में हैं  कि साथ बैठकर शिरोमणि अकाली दल को फिर से खड़ा करने का फ़ैसला लिया जा सके. 

बादल ने पार्टी को पारिवरिक पार्टी में बदल दिया - सिख नेता 

मंजीत सिंह जी के नेतृत्व में बनी जग आसरा गुरु ओट ((JAGO) के अध्यक्ष ने एक फेडरेशन के गठन की सलाह दी है कि सिखों की समस्याओं का सामूहिक रूप से समाधान किया जा सके. सरना की तरह उनका भी मानना है कि बादल ने एक पुरानी पार्टी को एक पारिवारिक पार्टी में बदल दिया है,  उनसे लोगों के मोहभंग हुए और पार्टी पंजाब में इस हाल में पहुंची. 

Ravinder Singh Robin

(लेखक रवींद्र सिंह रॉबिन वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह जी मीडिया से जुड़े हैं. राजनीतिक विषयों पर यह विचार रखते हैं.)  

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

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Shiromani Akali Dal faces structural challenge after a century by Ravinder Singh Robin
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सौ साल बाद शिरोमणि अकाली दल पर मंडराया अस्तित्व का ख़तरा
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