डीएनए हिंदी: पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू का उदय सूबे के बड़े कांग्रेसी नेताओं के लिए सिरदर्द बन गया है. कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP)  की तारीफ में कसीदे पढ़ने वाले नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. कांग्रेस में होते हुए भी राज्य में उन्होंने कांग्रेस की मुश्किलें कम नहीं कीं बल्कि बढ़ा दी हैं.

15 जनवरी 2017 वह तारीख थी जब नवजोत सिंह सिद्धू बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए. पूर्वी अमृतसर से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा. चुनाव में बंपर जीत मिली. नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल हुए. उनकी पत्नी ने भी मंत्रिपद संभाला. शपथ ग्रहण के कुछ दिनों तक सिद्धू शांत दिखे लेकिन बाद में हंगामा शुरू हो गया.


कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ सिद्धू के तेवर कभी ठीक नहीं रहे. 2017 से ही ऐसा लगता था कि सिद्धू की महत्वाकांक्षा खुद मुख्यमंत्री बनने की थी. कैप्टन को सिद्धू लगातार अयोग्य मानते रहे. कैप्टन की कांग्रेस से विदाई भी हो चुकी है.

सच्चाई यह थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 80 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. अकाली दल महज 14 सीटें हासिल कर पाया था वहीं मोदी लहर में भी बीजेपी के हिस्से 2 सीटें आईं थीं. आम आदमी पार्टी नई पार्टी थी लेकिन 17 सीटें हासिल करने में कामयाब हो गई थी. पंजाब के जन नेता के तौर पर कैप्टन का कद नवजोत सिंह सिद्धू से कहीं ज्यादा है. कांग्रेस आलाकमान को भी इस बात की खबर थी लेकिन सिद्धू के तमाम पॉलिटिकल ड्रामे के बाद भी उन्हें हाईकमान की ओर से कोई अनुशासनात्मक आदेश नहीं दिए गए.

सिद्धू की वजह से कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं कैप्टन

पंजाब कांग्रेस की अस्थिरता की सबसे बड़ी वजह सिद्धू ही माने जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हीं की वजह से सूबे के सबसे बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से सोनिया गांधी ने इस्तीफा मांग लिया था. 19 सितंबर 2021 को कैप्टन अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 2 नवंबर 2021 वह तारीख थी जब कैप्टन ने कांग्रेस का साथ भी छोड़ दिया. अब पंजाब कांग्रेस का सिरदर्द सिद्धू की वजह से बढ़ गया है. कैप्टन अमरिंदर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी थे लेकिन अब यही करीबी पंजाब कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती बनने जा रहे हैं. कैप्टन ने पंजाब लोक कांग्रेस नाम की एक पार्टी भी बना ली है.

कभी नरम-कभी गरम रहते हैं सिद्धू के तेवर

नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर भी नरम तो कभी गरम वाले रहे हैं. कब वे किस बात पर अपनी ही पार्टी से रूठ जाएं कहा नहीं जा सकता है. बिजली, भ्रष्टाचार, ड्रग्स और ट्रांसफर के मुद्दे पर लगातार कैप्टन सरकार के खिलाफ रहे सिद्धू, इन्हीं मुद्दों को लेकर पंजाब के नए सीएम के खिलाफ भी खड़े हो जाते हैं. 

सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भी विरोध किया था. नौकरी, बजट, एजी की नियुक्ति और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे ऐसे हैं जब आज भी सिद्धू चरणजीत सिंह चन्नी से नाराज हैं. चन्नी सब सीएम बने थे तब राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चा थी कि ये सिद्धू के हाथ की कठपुतली रहेंगे. राजनीतिक समीकरण बिगड़े और चन्नी ने अपने हिसाब से नियुक्तियां कीं. सिद्धू इस बात पर भी नाराज हो गए हैं. सिद्धू ने इन्हीं मुद्दों को आधार बनाते हुए 28 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपना कार्यभार जुलाई में संभाला था. तब उन्हें पंजाब कांग्रेस का शीर्ष नेता बनाकर कैप्टन के साथ सुलह कराने की कोशिश की गई थी. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कई राउंड का दौरा किया था. आज पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी हैं. वे भी दौरा ही कर रहे हैं लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है.

कभी खुद तो कभी सलाहकार बढ़ाते हैं कांग्रेस की मुश्किलें 

नवजोत सिंह सिद्धू कभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं तो कभी पाकिस्तान की तारीफ में. उनके बयान कांग्रेस को मुनाफा भले ही न दें नुकसान जरूर कराते हैं. सिद्धू ने जब पुलवामा हमले के बाद कहा था कि चंद बुरे लोगों की वजह से पूरे देश को गुनाहगार कैसे ठहरा सकते हैं. बयान का ऐसा गलत प्रभाव ऐसे पड़ा कि सिद्धू खलनायक बन गए. कई टीवी चैनल्स पर तो दोबारा सिद्धू की एंट्री हुई ही नहीं. कैप्टन अमरिंदर सिंह भी उन्हें पाकिस्तान परस्त बता चुके हैं. 

सिद्धू के सलाहकार भी कम नहीं हैं. सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली के बयानों भी खूब मीडिया की सुर्खियों में रहे थे. कभी वे कश्मीर पर विवादित बयान देते थे तो कभी इंदिरा गांधी को लेकर विवादित स्केच शेयर करते थे. कैप्टन अमरिंदर ने भी नसीहत दी थी कि सिद्धू अपने सलाहकारों को समझाएं और बयानों पर माफी मांगे. सिद्धू ने ऐसा कुछ नहीं करने को कहा. सिद्धू अपनी ही धुन में लगे हुए हैं. सिद्धू कांग्रेस के लिए ऐसी मर्ज हो गए हैं जिन्हें ठीक करना मुश्किल है. पार्टी न उन्हें निकाल सकती है न ही उनके कंधों पर मजबूत जिम्मेदारी दे सकती है. अपने ही पार्टी के लिए कब सिद्धू बगावती तेवर अपना लें कहा नहीं जा सकता है.
 

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Punjab Assembly election Congress Navjot Singh Sidhu Rahul Gandhi Narendra Modi
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पंजाब कांग्रेस के लिए सिरदर्द क्यों बन गए हैं नवजोत सिंह सिद्धू?
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