डीएनए हिंदी: राजनीतिक लिहाज से केंद्रीय सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए बीता साल 2021 खट्टा-मीठा रहा. एक तरफ जहां पार्टी असम में दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही और पुद्दुचेरी में सरकार बना सकी तो वहीं पश्चिम बंगाल से लेकर दक्षिण भारत में पार्टी को आशा के विपरीत परिणाम देखने को मिले. ऐसे में किसान आंदोलन के खात्मे और कृषि कानून की वापसी के बीच भाजपा की चुनौती 2022 में बढ़ने की संभावनाएं हैं. इसी वर्ष भाजपा शासित अनेकों राज्यों के चुनाव भी प्रस्तावित हैं जो कि पार्टी की भविष्य की राजनीति तय करने में भूमिका निभाएंगे.  

साल का चुनावी गणित 

इस वर्ष की पहली तिमाही में ही देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तरांखड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधानसभाओं के चुनाव शामिल हैं. पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे यह बताएंगे कि नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन का असर और फिर कानून वापसी से क्या फर्क पड़ा है.

इन 5 राज्यों के चुनाव फरवरी-मार्च के महीने में कराए जाएंगे. हालांकि चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान तो नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि जनवरी को पहले हफ्ते में आयोग इनकी घोषणा कर सकता है. खास बात ये है कि कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बावजूद सभी राजनीतिक पार्टियों ने मांग की है कि चुनाव समय पर कराए जाएं. 

उत्तर प्रदेश और गुजरात सबसे महत्वपूर्ण 

गौरतलब है कि पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनाव उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा के माने जा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह यह कि उत्तर प्रदेश के जरिए  ही पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी वापसी की तैयारी करेगी. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के चुनावों में ही कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा का प्रदर्शन  2024 के लिहाज से भाजपा की चुनावी रणनीति को दिशा देगा.

इसके अलावा गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा की स्थिति डांवाडोल थी. पार्टी ने बड़ी मुश्किल से बहुमत हासिल किया था. यही कारण है कि भाजपा ने इस वर्ष अचानक ही गुजरात की पूरी कैबिनेट मुख्यमंत्री समेत बदल दी. भाजपा जानती है कि यदि 2022 के गुजरात चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निम्न स्तर का रहा तो इससे 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर नकारात्मक असर पड़ेगा. 

रणनीतिक तौर पर अहम चुनाव 

उत्तर प्रदेश और गुजरात के अलावा तीसरी बार उत्तराखंड में सीएम बदले जाने को लेकर चर्चा में रही भाजपा सरकार के सामने भी पुनः सत्ता हासिल करने की चुनौती होगी. वहीं हिमाचल प्रदेश में लाइमलाइट से दूर रहने वाले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का भी कड़ा इम्तिहान साल 2022 के विधानसभा चुनाव में होने वाला है. 

भाजपा पहली बार कड़े प्रतिद्वंदी रहे पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पंजाब के विधानसभा चुनावों में गठबंधन के जरिए उतरने वाली है. पार्टी के पुराने साथी अकाली दल के साथ छोड़ने का बाद अब भाजपा कैप्टन के साथ पंजाब की राजनीति में एक नई शुरुआत करने वाली है जो कि राज्य में उसके भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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new year 2022 challenging for bjp basis of political future
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विधानसभा से ही टूटेगा लोकसभा का तिलिस्म
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