डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह कल उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. इस जनसभा को नाम दिया गया है- 'निषाद समाज जनसभा'. जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि अमित शाह की ये जनसभा निषाद वोटर्स को रिझाने के लिए की जा रही है.
निषादों को रिझाने के लिए भाजपा के अलावा समाजवादी पार्टी भी इस समुदाय के वोटर्स पर खास फोकस कर रही है. हालात ये हैं कि बिहार में जदयू की सहयोगी VIP यूपी में भाजपा की दिक्कतें बढ़ाने की कोशिशें कर रही है. आइए आपको समझाते हैं कि आखिर निषाद वोटर उत्तर प्रदेश चुनाव में हर पार्टी के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है.
दरअसल, माना जाता है कि मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में करीब 60 विधानसभा सीटों पर निषाद समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका में हैं. उत्तर प्रदेश के कम से कम 18 जिलों में निषाद समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी आबादी है.
इन जिलों में प्रयागराज, वाराणसी, जौनपुर, मुजफ्फरनगर, संत रविदास नगर, मिर्जापुर, मेरठ, उन्नाव, लखनऊ, औरैया, महाराजगंज, गोरखपुर, सुलतानपुर, अयोध्या, बांदा, संत कबीर नगर, बलिया और फिरोजाबाद शामिल हैं. निषादों में केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड जैसी जातियां शामिल हैं.
भाजपा के साथ हैं संजय निषाद
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने संजय निषाद की पार्टी से गठबंधन किया है. संजय निषाद MLC हैं जबकि उनके बेट भाजपा के टिकट पर संत कबीर नगर से सांसद हैं लेकिन कहानी इतने पर ही खत्म नहीं होती है. निषाद वोटरों पर बिहार की पार्टी VIP के मकेश सहनी की भी नजर है, वो यूपी का दौरा करते रहे हैं और पहले ही 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं.
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